शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली क्षेत्र में स्थित मस्जिद को लेकर नगर निगम अदालत ने शनिवार को बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने मस्जिद के पूरे निर्माण को अवैध करार देते हुए उसे पूरी तरह गिराने का आदेश जारी किया है। इससे पहले 5 अक्टूबर 2024 को अदालत ने मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलें हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन निर्धारित समय सीमा में इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी थी।
मालिकाना हक और स्वीकृति के अभाव में टूटा विश्वास
नगर निगम आयुक्त भूपिंदर अत्री की अदालत में शनिवार को हुई सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड मस्जिद की जमीन का मालिकाना हक साबित करने के लिए कोई ठोस दस्तावेज पेश नहीं कर सका। साथ ही, निर्माण के लिए नगर निगम की कोई स्वीकृति या वैध नक्शा भी प्रस्तुत नहीं किया गया। अदालत ने इस आधार पर मस्जिद के पूरे निर्माण को नियमों के खिलाफ मानते हुए उसे अवैध घोषित कर दिया।
1947 से पूर्व के अस्तित्व का दावा खारिज
वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि मस्जिद का अस्तित्व 1947 से पहले का है और वर्तमान निर्माण एक पुनर्निर्माण है। इस पर अदालत ने तीखे सवाल उठाते हुए कहा कि यदि यह पुनर्निर्माण था, तो क्या कारण था कि नगर निगम से इसकी मंजूरी नहीं ली गई? अदालत ने स्पष्ट किया कि नियमों की अनदेखी कर पूरा निर्माण किया गया है।
मस्जिद कमेटी की लापरवाही पड़ी भारी
5 अक्टूबर 2024 को दिए गए आदेश के अनुसार मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को दो महीने के भीतर हटाना था। लेकिन मस्जिद कमेटी समय पर कार्य नहीं कर पाई और दो बार अतिरिक्त समय मांगने के बावजूद भी निर्माण कार्य अधूरा ही रहा। अब अदालत ने बची हुई दो मंजिलों को भी अवैध मानते हुए उन्हें हटाने का अंतिम आदेश दिया है।
झड़प के बाद शुरू हुई जांच, बढ़ा विवाद
29 अगस्त 2024 को शिमला के मल्याणा क्षेत्र में दो समुदायों के बीच हुई झड़प और उसके बाद 1 सितंबर को संजौली मस्जिद के बाहर तनाव की स्थिति ने इस मामले को सार्वजनिक बहस में ला खड़ा किया। 11 सितंबर को हिंदू संगठनों द्वारा मस्जिद निर्माण के विरोध में प्रदर्शन किया गया, जिसमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक टकराव हुआ। इसके बाद नगर निगम अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की थी।
अदालत ने लिया सख्त रुख
करीब 45 मिनट तक चली सुनवाई के बाद नगर निगम आयुक्त भूपिंदर अत्री ने दोपहर में फैसला सुनाया, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि संजौली मस्जिद का संपूर्ण निर्माण अवैध है और इसे जल्द से जल्द गिराया जाए। अदालत ने यह भी निर्देश दिए कि अब किसी भी प्रकार की ढिलाई या देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।