डेस्क:शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में जबर्दस्त हंगामा हुआ। पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ के सांसदों ने इस दौरान जमकर नारेबाजी और हंगामा काटा। अब इस मामले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि सांसदों को अपनी जवाबदेही तय करनी होगी। हम सदन की अव्यवस्था को व्यवस्था मानकर नहीं चल सकते। अगर सांसद खुद ऐसा नहीं करते तो उम्मीद है कि लोग उन्हें जल्दी ही उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर देंगे कि उन्हें संसद में क्यों भेजा गया था।
चौधरी चरण सिंह पुरस्कार-2024 के पुरस्कार विजेताओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी लोकतंत्र की सफलता के लिए बातचीत और बहस बेहद जरूरी है। यह बातचीत पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ की जिम्मेदारी के बाद ही संपन्न होती है। उन्होंने कहा कि मैं सांसदों के बारे में ही बात कर रहा हूं। देश उन्हें देखता है। सदन की कार्यवाही जिस तरीके से चलती है उससे लोगों ने अव्यवस्था को ही व्यवस्था मानना शुरू कर दिया है।
उपराष्ट्र्पति ने कहा कि मुझे लगता है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो लोग इसके बारे में लिखेंगे और उनके लेख लोगों तक पहुंचेंगे और फिर लोग आपको यह सोचने पर मजबूर कर देंगे कि आप संसद में क्यों आए हैं।
संसद के शीतकालीन सत्र में संसद में काम काज ठप रहा। शुरुआती समय में अडानी के मुद्दे की वजह से और बाद में अन्य मुद्दों की वजह से पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे। इस पूरे झगड़े में जगदीप धनखड़ का नाम भी आया। कांग्रेसी सांसदों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का भी प्रयास किया।
कृषि के विकास की जरूरत- धनखड़
राज्यसभा के पदेन सभापति धनखड़ ने कहा कि कृषि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। जब तक कृषि का विकास नहीं होता और ग्रामीण परिवेश नहीं बदलता तब तक हम एक विकसित राष्ट्र की आकांक्षा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि हमारे पास सबसे बड़ा बाजार और कृषि उपज है लेकिन इसके बाद भी किसान आज गरीब है। आर्थिक विकास का इंजन बनने के लिए हमें सरकारों को कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देनी होगी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार इस दिशा में बेहतर प्रयास कर रही है। लेकिन 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का जो लक्ष्य रखा गया है उसके लिए देश के प्रति व्यक्ति की आय आज से आठ गुनी होना चाहिए। यह एक कठिन चुनौती है लेकिन हम सब मिलकर इसमें सफल हो सकते हैं।