लखनऊ। लोकसभा चुनाव की अधिसूचना भले ही अभी तक जारी नहीं हुई है, लेकिन चुनावी चौसर पर मोहरें बिछाई जाने लगी हैं। लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस जहां इंडिया गठबंधन के बैनर तले लड़ रही है, वहीं बसपा अपने दम पर ताल ठोंके हुए है। सपा-कांग्रेस की ख्वाहिश मुस्लिम वोटों का बंटवारा रोकना है, तो बसपा इनकी राह में रोड़े अटकाने का ताना-बाना बुनने में जुट गई है। ठीक वैसे ही जैसे उसने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में 88 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर सपा की राह में कांटे बो दिए थे।
लोकसभा चुनाव के लिए बसपा ने फिलहाल अभी तक उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है, लेकिन मंडल स्तर पर लोकसभा प्रभारियों की घोषणा शुरू कर दी गई है। इन्हीं प्रभारियों को आगे चलकर उम्मीदवार घोषित कर दिया जाता है। बसपा के अभी तक कुल छह लोकसभा प्रभारी घोषित किए गए हैं। इनमें से पांच मुस्लिम और एक जाट है। इससे यह साफ अनुमान लगाया जा रहा है कि बसपा की नजर भी मुस्लिम वोट बैंक पर है। यूपी में एक अनुमान के मुताबिक मुस्लिम वोट बैंक 19.5 प्रतिशत बताया जाता है। प्रदेश में करीब 29 लोकसभा सीटें मुस्लिम प्रभाव वाली मानी जाती हैं। इसलिए बसपा इनमें से अधिकतर सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारने की दिशा में चल पड़ी है।
बसपा के घोषित उम्मीदवार
बसपा ने लोकसभा चुनाव के लिए कन्नौज से अकील अहमद पट्टा, पीलीभीत से अनीश अहमद खान उर्फ फूल बाबू और अमरोहा से मौजूदा सांसद कुंवर दानिश अली का टिकट काटकर डा. मुजाहिद हुसैन, मुरादाबाद से ठाकुरद्वारा नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष इरफान सैफी को उम्मीदवार घोषित किया है। सहारनपुर से मौजूदा सांसद हाजी फजुलर्रहमान का टिकट काटकर माजिद अली को दिया गया है। बिजनौर से जाट उम्मीदवार बिजेंद्र चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया है।
यूं खिंच रही मुस्लिम मतों के विभाजन की भूमिका
सपा ने फिलहाल कन्नौज, मुरादाबाद, पीलीभीत व बिजनौर से अभी प्रत्याशी नहीं उतारा है लेकिन अमरोहा से सपा ने अपने पूर्व मंत्री महबूब अली को उतार दिया है। बसपा ने यहां से डा. मुजाहिद हुसैन को टिकट दिया है। ऐसे में मुस्लिम मतों का बंटवारा होने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा कांग्रेस कोटे की सहारनपुर सीट पर भी बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी माजिद अली को प्रभारी बनाया है। वहां से कांग्रेस के इमरान मसूद के लड़ने की प्रबल संभावना है। इमरान मसूद बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। अगर वहां इमरान मसूद प्रत्याशी बने तो ऐसे में वहां भी विभाजन तय माना जा रहा है। वैसे कन्नौज, मुरादाबाद और पीलीभीत में भी बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी सपा के वोट बैंक में ही सेंध लगाएंगे।
विधानसभा में बिगाड़ दिया था खेल
सपा से गठबंधन टूटने के बाद बसपा ने 88 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। इसका सबसे अधिक नुकसान सपा को उठाना पड़ा। बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में भले ही जीत नहीं पाए, लेकिन अधिकतर सीटों पर उन्होंने सपा को नुकसान पहुंचाया था। इन 88 सीटों में से 26 सीटें ऐसी थीं जिनमें सपा के मुस्लिम प्रत्याशियों के सामने बसपा का मुस्लिम प्रत्याशी था। इन 26 सीटों में से 11 पर सपा को वोटों का बंटवारा होने से हार का मुंह देखना पड़ा था। मसलन, मुरादाबाद नगर सीट पर सपा के यूसुफ अंसारी को 1 लाख 47 हजार 602 वोट मिले थे, जबकि बसपा के इरशाद हुसैन ने 14013 वोट काट लिये। अगर दोनों के मत सपा को ही जाते तो सपा के प्रत्याशी को 1 लाख 61 हजार से ज्यादा वोट मिलते जो कि भाजपा को मिले कुल मत 1 लाख 48 हजार 384 से कहीं ज्यादा होते।
यूपी के सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाले जिले
मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, अमरोहा, बलरामपुर, बरेली, मेरठ, बहराइच, संभल, हापुड़, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बदायूं, बाराबंकी, गाजियाबाद, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, अलीगढ़, गोंडा व मऊ जिलों में मुस्लिमों की आबादी सबसे अधिक है। इनमें कुल मिलाकर 29 लोकसभा सीटें होती हैं।
वर्ष 2019 में बसपा मुस्लिम उम्मीदवारों की स्थिति
सीटें नाम स्थिति वोटिंग प्रतिशत
अमरोहा दानिश अली जीते 51.39
सहारनपुर हाजी फजलुर रहमान जीते 41.72
गाजीपुर अफजाल अंसारी जीते 51.11
मेरठ हाजी मोहम्मद याकूब हारे 47.78
धौरहरा अरशद इलियास सिद्दीकी हारे 33.11
डुमरियागंज आफताब आलम हारे 39.27