डेस्क:इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से विपक्ष के नेता राहुल गांधी को झटका लगा है। लखनऊ की सेशन कोर्ट से 200 रुपए जुर्माना लगाने और समन के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए राहुल गांधी ने याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने राहुल गांधी की याचिका पर विचार करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनके पास दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 397 के तहत सत्र न्यायाधीश के पास रिविजन याचिका दायर करने का विकल्प है। पूरा मामला विनायक दामोदर सावरकर को लेकर राहुल गांधी की टिप्पणी का है।
बार एंड बेंच के अनुसार राहुल गांधी की ओर से अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल, मोहम्मद समर अंसारी और मोहम्मद यासिर अब्बासी पेश हुए। समन आदेश पिछले साल दिसंबर में लखनऊ की सत्र न्यायालय द्वारा पारित किया गया था। ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि राहुल गांधी टिप्पणियों ने समाज में नफरत और दुर्भावना फैलाई है। ट्रायल कोर्ट ने राहुल के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाया और उन्हें अपने समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था। इसके बाद राहुल गांधी ने समन आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट में याचिका दायर करने वाले नृपेंद्र पांडेय के अनुसार राहुल गांधी ने 17 दिसंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने सावरकर को ‘अंग्रेजों का नौकर’ और ‘पेंशन लेने वाला’ कहा था। राहुल गांधी का बयान समाज में वैमनस्य और घृणा फैलाने की मंशा से दिया गया था।
आरोप लगाया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहले से तैयार पर्चे भी पत्रकारों के बीच वितरित किए गए थे। बयान के बाद राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) और 505 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की गई थी। अदालत ने उन्हें गत 12 दिसंबर को धारा 153 ए एवं 505 आईपीसी के तहत अदालत में तलब किया था। उस दौरान भी हाजिरी माफी की अर्जी दाखिल की गई थी। इसके बाद की तारीखों पर भी राहुल गांधी पेश नहीं हुए। ऐसे में उन पर 200 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया और पेश होने के लिए चेतावनी देते हुए समन जारी किया गया था।
नृपेंद्र पांडे ने इससे पहले जून 2023 में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव के यहां शिकायत दर्ज कराई लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था। इसके बाद पांडे ने सत्र न्यायालय के समक्ष इसे चुनौती दी थी। सत्र न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर ली और मामले को फिर से मजिस्ट्रेट अदालत को भेज दिया था। यहां से राहुल गांधी को सम्मन जारी किया गया था।