रांची:ईडी की राज्य में पिछले कुछ दिनों से चल रही कार्रवाई के दौरान शेल कंपनियों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं। इन दस्तावेजों को वह हाईकोर्ट में पेश करेगी। हाईकोर्ट ने ईडी को दस्तावेज को सीलबंद कर 17 मई के पहले पेश करने की अनुमति दे दी है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनके भाई बसंत सोरेन और सीएम के करीबियों पर शेल कंपनी चलाने का आरोप लगाते हुए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी ने शेल कंपनियों से जुड़े दस्तावेज होने की जानकारी अदालत को दी।
ईडी की ओर से पक्ष रख रहे वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि झारखंड में ईडी की कार्रवाई चल रही है। इस दौरान उसे कुछ दस्तावेज हाथ लगे हैं। इन दस्तावेज को वे हाईकोर्ट के समक्ष पेश करना चाहते हैं।
अदालत को बताया गया कि ईडी किसी भी मामले में खुद प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सकती है, जब तक कि उन्हें सक्षम प्राधिकार से कोई आदेश न मिले। इस पर चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने ईडी को सभी दस्तावेज सीलबंद कर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा करने का निर्देश दिया।
शिवशंकर शर्मा ने दायर की है पीआईएल
सीएम के करीबियों के शेल कंपनी चलाने का आरोप लगाते हुए शिवशंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है। मामले की पूर्व में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ईडी से भी इस मामले में जानकारी मांगी थी। साथ ही रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी को नोटिस जारी कर प्रतिवादी बनाया था। प्रार्थी का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया था कि मुख्यमंत्री, उनके परिजन और करीबी लगभग 400 शेल कंपनी चलाकर कमाई कर रहे हैं।
सरकार के नजदीकी अमित अग्रवाल और रवि केजरीवाल के सगे संबंधी ही ऐसी कंपनी चलाते हैं। इनमें झारखंड से कमाई गई राशि को निवेश कर होटल, मॉल सहित अन्य संपत्ति खरीदी गयी है। सरकार की ओर से कहा गया कि वर्ष 2013 में प्रार्थी दीवान इंद्रनील सिन्हा ने याचिका दायर की थी। उस वक्त याचिका में जो आरोप लगाए गए थे वही आरोप शिवशंकर शर्मा ने भी लगाए हैं।
वर्ष 2013 में हाईकोर्ट ने दीवान इंद्रनील सिन्हा की याचिका खारिज करते हुए 50 हजार का जुर्माना भी लगाया था। दीवान इंद्रनील सिन्हा के वकील भी राजीव कुमार ही थे। इस मामले में भी पुराने दस्तावेज को ही संलग्न किया गया है। इस कारण याचिका खारिज कर देनी चाहिए।