नई दिल्ली/ढाका: भारत और बांग्लादेश के बीच अवैध प्रवासियों को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। हाल के दिनों में भारत द्वारा कथित तौर पर अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को सीमा पार भेजने की कार्रवाई पर बांग्लादेश की सरकार और सेना ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ढाका ने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला बताते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया है।
मंगलवार को भारत ने 67 बांग्लादेशियों को लौटाया, जबकि बुधवार को लालमोनिरहाट ज़ीरो लाइन पर 13 लोग—जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं—फंसे रहे, जिन्हें न तो बांग्लादेश ने प्रवेश दिया और न ही भारत में वापसी की अनुमति मिली। इस बीच, बांग्लादेश की सीमा सुरक्षा बल BGB ने इस घटनाक्रम पर कड़ा ऐतराज जताते हुए BSF के साथ फ्लैग मीटिंग की मांग की, जिस पर अभी तक भारत की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भारत पर 800 से अधिक लोगों को ‘धकेलने’ का आरोप
बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 7 मई से अब तक करीब 800 लोगों को भारत द्वारा बांग्लादेश सीमा की ओर भेजने की कोशिश की गई है। इनमें कथित भारतीय नागरिकों के साथ-साथ रोहिंग्या शरणार्थी भी बताए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों की मदद से BGB ने कई बार इन लोगों को सीमा पर रोकने का दावा किया है।
भारत विरोधी माहौल को मिला बल
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब बांग्लादेश की राजनीति में भारत-विरोधी भावनाएं पहले से ही प्रबल हो चुकी हैं। अगस्त 2024 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद, सत्ता परिवर्तन के बीच भारत पर हसीना सरकार को समर्थन देने के आरोप लगे। इसके बाद से ‘भारत हस्तक्षेप’ एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
नेशनल सिटी पार्टी के प्रमुख सरवर तुषार ने भारत की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए कहा, “यह सीधे-सीधे सुरक्षा के लिए खतरा है। भारत को ऐसी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।”
बांग्लादेश सेना ने दी कार्रवाई की चेतावनी
बांग्लादेश के पूर्व सैन्य अधिकारी और गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम चौधरी ने कहा है कि अगर कोई बांग्लादेशी नागरिक भारत में अवैध रूप से रह रहा है, तो उसे निर्धारित प्रक्रिया के तहत वापस भेजा जाना चाहिए। बांग्लादेश सेना के उच्च अधिकारियों ने भी चेतावनी दी है कि यदि आवश्यक हुआ, तो सेना हस्तक्षेप के लिए तैयार है।
सीमा पर फेंसिंग और सुरक्षा विवाद
भारत-बांग्लादेश सीमा लगभग 4,096 किलोमीटर लंबी है, जिसमें से अब तक 3,232 किलोमीटर क्षेत्र में फेंसिंग पूरी की जा चुकी है। हालांकि कई हिस्से अब भी असुरक्षित और विवादित बने हुए हैं। BGB ने इन इलाकों में BSF की ओर से की जा रही फेंसिंग पर भी आपत्ति दर्ज की है।
भारत का रुख – अवैध प्रवासियों पर सख्ती
भारत सरकार इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपना रही है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, देश में करीब 2 करोड़ अवैध प्रवासी हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक शामिल हैं। हाल के दिनों में असम, राजस्थान, गुजरात और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गहन तलाशी अभियान चलाए जा रहे हैं। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को 30 दिन के भीतर अवैध प्रवासियों की साख सत्यापन के निर्देश दिए हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जानकारी दी कि भारत ने बांग्लादेश से 2,369 लोगों की नागरिकता सत्यापित करने का अनुरोध किया है, ताकि उन्हें निर्वासित किया जा सके। इनमें से कई मामलों में नागरिकता सत्यापन प्रक्रिया 2020 से लंबित है।
संदर्भ – आतंकी हमले के बाद तेज हुई कार्रवाई
गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने अवैध घुसपैठियों के खिलाफ अभियान को और तेज कर दिया है। सरकार का मानना है कि इन अवैध प्रवासियों के कारण आंतरिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा है।
निष्कर्ष
भारत जहां अवैध प्रवासियों की वापसी को संप्रभु अधिकार मानता है, वहीं बांग्लादेश इसे सीमा उल्लंघन और आक्रामक कूटनीति के रूप में देख रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा दोनों देशों के संबंधों में नई जटिलताएं पैदा कर सकता है।