इस्तांबुल:कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव चरम पर है, और इसी पृष्ठभूमि में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन से इस्तांबुल में हुई अहम मुलाकात ने वैश्विक स्तर पर नई चर्चा छेड़ दी है। दोनों नेताओं की यह बैठक ऐसे समय पर हुई जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर लगातार सैन्य झड़पें और कूटनीतिक तकरार तेज़ हैं।
बैठक के बाद शहबाज शरीफ ने तुर्की को “मुश्किल घड़ी में समर्थन” देने के लिए धन्यवाद कहा और इसे द्विपक्षीय संबंधों में एक नया मील का पत्थर बताया। तुर्की राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, दोनों नेताओं ने ऊर्जा, व्यापार, परिवहन और रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने पर बल दिया और आपसी व्यापार को $5 अरब तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया।
ऑपरेशन सिंदूर और तुर्की-पाक सैन्य सहयोग
विशेष रूप से, हाल में भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई और उसके जवाब में पाक सेना द्वारा तुर्की निर्मित ड्रोन और हथियारों के इस्तेमाल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मित्रता की गहराई को उजागर किया है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, शहबाज शरीफ तुर्की की ओर से मिली सैन्य और राजनीतिक मदद के लिए एर्दोगन का व्यक्तिगत धन्यवाद देने इस्तांबुल पहुंचे।
सोशल मीडिया पर शहबाज का बयान
शहबाज शरीफ ने सोशल मीडिया पर लिखा,
“इस शाम इस्तांबुल में अपने प्रिय भाई राष्ट्रपति एर्दोगन से मिलने का सम्मान प्राप्त हुआ। भारत-पाकिस्तान के हालिया तनाव में पाकिस्तान के प्रति उनके अडिग समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।”
उन्होंने आगे कहा,
“हमने द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और सहयोग की प्रगति की समीक्षा की और इन्हें और मजबूत करने के संकल्प को दोहराया। पाकिस्तान-तुर्की की मित्रता अमर रहे!”
एर्दोगन बोले – पाकिस्तान हमारा अटूट साझेदार
राष्ट्रपति एर्दोगन ने भी मुलाकात को “ऐतिहासिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण” बताया। उन्होंने कहा कि तुर्की और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक, आर्थिक और मानवीय रिश्ते अटूट हैं। एर्दोगन ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, खुफिया जानकारी साझा करने और तकनीकी सहायता बढ़ाने पर बल दिया।
पहलगाम हमले के बाद बदले समीकरण
यह बैठक उस वक्त हुई है जब कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक मारे गए थे। भारत ने इसका सीधा आरोप पाकिस्तान पर लगाया और जवाब में नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान और पीओके के 9 आतंकी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की। इस चार दिवसीय संघर्ष के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की। वहीं, पाकिस्तान की सेना द्वारा तुर्की निर्मित ड्रोन के उपयोग की खबरों पर तुर्की ने सार्वजनिक रूप से कोई पुष्टि नहीं की।
व्यापार और रणनीतिक साझेदारी पर जोर
तुर्की के संचार निदेशालय के अनुसार, दोनों देशों ने व्यापार को $5 अरब तक ले जाने के साथ-साथ इस्तांबुल-तेहरान-इस्लामाबाद रेल कॉरिडोर को अधिक प्रभावी बनाने और शिक्षा क्षेत्र में ठोस सहयोग पर सहमति जताई है। इस मुलाकात में तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान, रक्षा मंत्री यासर गूलर और खुफिया प्रमुख इब्राहिम कालिन समेत कई शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे।
विश्लेषण
भारत-पाक के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद तुर्की और पाकिस्तान की यह नजदीकी भारत के लिए एक और कूटनीतिक चुनौती बन सकती है। एर्दोगन का पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर खड़ा होना इस्लामिक सहयोग की राजनीति के उस पक्ष को उजागर करता है जो अक्सर भारत विरोध के मंच पर उभरता रहा है।
अब सवाल यह है – क्या भारत तुर्की और चीन जैसे मित्र देशों के ज़रिए पाकिस्तान की छद्म कूटनीति को विश्व मंच पर बेनकाब कर पाएगा?
और क्या वैश्विक बिरादरी इस नए गठजोड़ की असल मंशा को पहचानने को तैयार है?