भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंगलवार रात 46 लोगों से ओहदा छीन लिया जिन्हें विभिन्न संस्थाओं का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाकर कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था। यह आदेश मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव राघवेंद्र सिंह ने जारी किया जिसमें 46 कॉर्पोरेशन, बोर्ड्स और अथॉरिटीज के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के नाम थे। इन सभी लोगों की नियुक्ति पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मार्च 2020 में सत्ता में आने के बाद की थी। सभी को कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था।
आदेश में कहा गया है, ‘मुख्यमंत्री के निर्देश पर कॉर्पोरेशन, बोर्ड, अथॉरिटी, कमीशन में की गईं गैर सरकारी नियुक्तियों को तुरंत प्रभाव से निरस्त किया जाता है।’ आदेश से कई लोगों को हैरानी हुई हुई क्योंकि पहली बार इतने नामित नेताओं के एक साथ हटा दिया गया है। हालांकि, एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि फैसला संगठन की ओर से लिया गया है और अब उनकी जगह दूसरे नेताओं को मौका दिया जाएगा।
बीजेपी नेता ने कहा, ‘पार्टी ने संगठन में बड़े बदलाव किए हैं। क्षेत्रीय संगठनों से हटाए जाने के बाद अधिकतर नेताओं को नामित किया गया था। अब नए नेताओं को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर मौका दिया जाएगा।’ वहीं, विपक्ष ने शिवराज सिंह चौहान के फैसले को पलटे जाने को लेकर तंज कसा है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा, ‘मुख्यमंत्री मोहन यादव अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग में व्यस्त हैं। लेकिन अब उन्होंने अपनी पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के फैसलों को पलटना शुरू कर दिया है। यह फैसला बताता है कि बीजेपी पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के सभी करीबी लोगों से छुटकारा चाहती है।’ कांग्रेस के आरोपों पर सफाई देते हुए भाजपा के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा, ‘कांग्रेस को अपने नेताओं की चिंता करनी चाहिए। सभी बोर्ड्स अथॉरिटीज के प्रमुखों को हटाना एक रूटीन क्रिया है और इसलिए इस पर चर्चा की आवश्यकता नहीं।’