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सिद्धपुर में सिद्ध साधक आचार्यश्री महाश्रमण के 52वें दीक्षा दिवस का भव्य आयोजन

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सिद्धपुर में सिद्ध साधक आचार्यश्री महाश्रमण के 52वें दीक्षा दिवस का भव्य आयोजन

अभातेयुप ने ‘युवा दिवस’ के रूप में पूज्यचरणों में अर्पित की भावांजलि

ON THE DOT TEAM by ON THE DOT TEAM
May 11, 2025
in आराधना-साधना
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सिद्धपुर में सिद्ध साधक आचार्यश्री महाश्रमण के 52वें दीक्षा दिवस का भव्य आयोजन

रविवार, सिद्धपुर, बनासकांठा (गुजरात) : जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, अखण्ड परिव्राजक, युगप्रधान सिद्ध साधक आचार्यश्री महाश्रमणजी का 52वां दीक्षा महोत्सव समारोह गुजरात के पाटण जिले में स्थित सिद्धपुर में भव्य एवं आध्यात्मिक वातावरण में समायोजित हुआ। सिद्धपुर में सिद्ध पुरुष के दीक्षा के समारोह का आयोजन मानों जन-जन को सिद्धत्व की ओर गति करने के की प्रेरणा देने वाला रहा। ऐसे महामानव को चतुर्विध धर्मसंघ वर्धापित कर रहा था और सभी यही मंगलकामना कर रहे थे कि आप मंगल अनुशासना में तेरापंथ धर्मसंघ नित नूतन ऐतिहासिक इतिहास का सृजन करता रहे। इसी कामना से मानों पूरा सिद्धपुर का वातावरण सुवासित हो रहा था। तेरापंथ धर्मसंघ आचार्यश्री के दीक्षा दिवस को युवा दिवस के रूप में मनाता आ रहा है। वहीं आज के साथ वर्तमान साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी का चयन दिवस भी जुड़ा हुआ है।

वैशाख शुक्ला चतुर्दशी, तदनुसार 11 मई 2025, रविवार का दिन। सुबह की मंगल बेला और सिद्धपुर में सिद्ध पुरुष आचार्यश्री महाश्रमणजी का मंगल प्रवास। आज ऐसे महा मानव का 52 दीक्षा दिवस समारोह में समायोजित हो रहा था। इसे लेकर देश भर से श्रद्धालु पूज्य सन्निधि में उपस्थित थे। इस कारण पूरा सिद्धपुर जनाकीर्ण-सा लग रहा था। निर्धारित समय पर श्री स्वामी नारायण गुरुकुल परिसर में बने ‘संयमोत्सव समवसरण’ तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी मंचासीन हुए तो श्रद्धालुओं के जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ 52वें दीक्षा समारोह का शुभारम्भ हुआ।

वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने इस मंगल अवसर पर चतुर्विध धर्मसंघ को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि यह संसार अधु्रव, अशाश्वत है। इस संसार में आत्मा शाश्वत है, किन्तु उसका जीवनकाल अशाश्वत ही होता है। आत्मा तो अनंतकाल तक रहती है, किन्तु जीवन अनंतकाल तक नहीं रहता। आत्मा के आठ प्रकार बताए गए हैं, उनमें द्रव्य आत्मा तो सभी जीवों मंे होती है। द्रव्य आत्मा शाश्वत ही होती है। इसके साथ उपयोग आत्मा और दर्शन आत्मा भी प्रत्येक जीव में हर समय उपलब्ध होती हैं। शेष पांच आत्माएं सभी जीवों में नहीं प्राप्त होती हैं।

तात्विक दृष्टि से देखा जाए तो संसारी जीवों मंे कम से कम छह आत्माएं होती ही हैं। कौन-सी छह ये अंतर हो सकता है, किन्तु छह आत्माएं प्रत्येक जीव में मिलती हैं। यह संसार दुःख प्रचुरता लिए हुए है। जन्म-मृत्यु, रोग, कष्ट आदि सब दुःख है। प्रश्न हो सकता है कि वह कौन-सा कार्य है, जिसे करने से दुर्गति से बचा जा सकता है। इसका शास्त्र में उत्तर प्रदान किया गया कि साधुपन को स्वीकार कर साधना करने से दुर्गति से बचा जा सकता है। हमारी दुनिया में संन्यास और साधुपन बहुत बड़ी बात है। दुनिया की भौतिक चीजों का परित्याग कर देना बहुत बड़ी बात होती है। संन्यास अथवा साधुपन का प्राप्त होना भी बहुत बड़े सौभाग्य की बात है। साधुपन यदि अंतिम श्वास तक सुरक्षित रह जाए तो कितना अच्छा हो सकता है।

सन् 1974 वि.सं. 2031 को वैशाख शुक्ला चतुर्दशी को मेरी दीक्षा मुनिश्री सुमेरमलजी स्वामी (लाडनूं) द्वारा सरदारशहर में हुई। वह सद्भाग्य उस दिन जगा था। संयम का जीवन उस दिन प्राप्त हुआ। इसमें संयम की आवश्यकता होती है। मोहनीय कर्म को कमजोर रखने का प्रयास करना चाहिए। साधु को ऋजुभूत होना चाहिए। साधु को झूठ बोलने से बचने का प्रयास करना चाहिए। साधुपन को शुद्ध बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है। कभी कोई गलती हो भी जाए तो उसकी आलोयणा लेकर उस भार को उतार देने का प्रयास होना चाहिए।

संयम रत्न की प्राप्ति बड़े सौभाग्य की बात है। सभी को अपना साधुपन प्यारा होना चाहिए। जिस संघ में साधना हो रही है, वह संघ प्यारा और गुरु प्यारे बने रहें। आज मेरे संयम पर्याय में आने का दिन है। मैं भी बालमुनि के रूप में इस धर्मसंघ में दीक्षित हुआ था। करीब बारह वर्ष की अवस्था में मुझे संयम रत्न की प्राप्ति हुई। इसको 51 वर्ष संपन्न हो गया। मेरा जीवन तो मानों धन्य हो गया। साधुत्व से बड़ी और अच्छी बात क्या हो सकती है।

आज चतुर्दशी है तो हाजरी का दिन भी है। आज का दिन साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी से जुड़ गया है। तीन वर्ष पूर्व आज के दिन साध्वी विश्रुतविभाजी को साध्वीप्रमुखा के रूप में प्रतिष्ठित होने का अवसर आया था। इतने बड़े साध्वी समुदाय का मुखिया बनना भाग्य की बात होती है। मनोबल मजबूत रहे, चित्त की शांति-समाधि, स्वास्थ्य आदि उत्तम रहे। सेवा का कार्य खूब अच्छे ढंग से चलता रहे।

आचार्यश्री ने हाजरी के क्रम को भी संपादित किया। उपस्थित चारित्रात्माओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर लेखपत्र का उच्चारण किया। आचार्यश्री ने अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आज के दिन युवा दिवस मनाए जाने के संदर्भ में मंगल आशीष प्रदान करते हुए कहा कि अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद की अनेक शाखाएं भी हैं। सभी धार्मिक-आध्यात्मिक कार्य को आगे बढ़ाते रहें और मुमुक्षुओं के तैयार करने का प्रयास करते रहें।

अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री रमेश डागा ने अपनी अभिव्यक्ति दी। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनिश्री योगेशकुमारजी ने अपनी प्रणति अर्पित की। उद्योग, उड्डयन व श्रम मंत्री श्री बलवंत सिंहजी ने भी आचार्यश्री के दर्शन कर अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति देते हुए आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। श्री अनिल चावत व श्री करण ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।

अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के उपाध्यक्ष श्री पवन माण्डोत ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ युवक परिषद-अहमदाबाद ने अपनी प्रस्तुति दी व गीत का संगान किया। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा गीत को प्रस्तुति दी गई। तेरापंथ महिला मण्डल-सिद्धपुर ने भी गीत का संगान किया। स्थानीय तेरापंथ कन्या मण्डल ने अपनी प्रस्तुति दी। राष्ट्रीय कन्या मण्डल प्रभारी श्रीमती अदिति सेखानी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल-अहमदाबाद ने गीत का संगान किया। वरिष्ठ श्रावक श्री मूलचंद नाहर, जैन विश्व भारती की ओर से श्री राजेश दूगड़, चतुर्मास व्यवस्था समिति-अहमदाबाद के स्वागताध्यक्ष श्री भैरुलाल चौपड़ा, तेरापंथी सभा-अहमदाबाद के अध्यक्ष श्री अर्जुन बाफना ने भी इस अवसर पर अपनी भावाभिव्यक्ति दी। श्री जागृत कोठारी ने गीत को प्रस्तुति दी।

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