रांची:मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि गर्मी के दिनों में स्कूल बसें जब जाम में फंसती हैं तो बच्चों के बारे में सोच कर चिंता होती है। ऐसे में स्कूल बसों को एंबुलेंस की तरह रास्ता मिलनी चाहिए। सरकार ऐसी व्यवस्था पर विचार कर रही है, ताकि स्कूल बसों को जाम से निकाला जा सके। जल्द ही इसपर फैसला लिया जाएगा। इसके लिए ट्रैफिक जवानों को निर्देशित किया जाएगा। उक्त बातें मुख्यमंत्री शुक्रवार को संत जेवियर्स स्कूल डोरंडा के डायमंड जुबली समारोह के समापन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने आम लोगों से भी अपील की है कि बच्चों का ख्याल करते हुए वह पहले स्कूल बसों को जाम से निकालने के लिए रास्ता दें। उन्होंने कहा कि रातोंरात ग्रीन कॉरिडोर नहीं बनाया जा सकता है, लेकिन यदि सरकार और आमलोग मिलकर इस विषय में सोचें तो बच्चों को घंटों जाम में फंसे रहने से मुक्ति मिल सकती है। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी में स्कूली बसों के जाम में फंसे रहने से उनका स्वास्थ्य तो प्रभावित होता ही है, उनकी पढ़ाई पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।
गर्मी और बढ़ी तो स्कूल बंद करने पर विचार
मुख्यमंत्री ने कहा है कि यदि गर्मी और बढ़ती है तो सरकार स्कूलों को बंद करने पर फैसला ले सकती है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विचार किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों से भी इस संबंध में चर्चा की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल के लगभग दो साल बाद शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौट रही है, बावजूद बच्चों की सेहत और सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी से हर कोई परेशान है। छोटे बच्चों को तो और भी समस्या हो सकती है। सरकार ने इस बात को ध्यान में रखते हुए पहले ही स्कूल की टाइमिंग में बदलाव किया था, लेकिन गर्मी दिन-ब-दिन बढ़ रही है। राज्य के कई क्षेत्रों से गर्मी से बच्चों की तबीयत खराब होने की खबरें भी आ रही हैं, जो विचलित करनेवाली हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार स्कूलों की छुट्टी पर विचार कर रही है।
छुट्टी की स्थिति में भी वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पठन-पाठन जारी रहेगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि दो दिनों में मौसम में बदलाव के कारण गर्मी से थोड़ी राहत मिली है, लेकिन यह उतार-चढ़ाव वाला समय है। अभिभावकों को भी बच्चों को स्कूल लाने और पहुंचाने के क्रम में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। इन सब का असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों की छुट्टी की स्थिति में भी वैकल्पिक व्यवस्था के माध्यम से पठन-पाठन जारी रहेगा। इससे पहले सरकार ने स्कूल की टाइमिंग में बदलाव करते हुए सुबह छह से 12 बजे तक किया है, जो जो पहले सात बजे से लेकर एक बजे तक थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूल अपना डायमंड जुबली मना रहा है, साथ ही नए भवन का भी उद्घाटन हुआ है। बच्चों को नया भवन समर्पित हुआ। मैं इस स्कूल में एक पैरेंट्स की भूमिका में भी हूं। यहां की कार्यशैली से मुझे लगाव है। शिक्षा को लेकर मेरी चिंता बनी रहती है। राज्य की जिम्मेवारी हमारे ऊपर है। झारखण्ड के लिए शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण विषयों में एक है।
राज्य अगर शिक्षा के क्षेत्र में कहीं विशेष जगह बनाता है तो इसमें ऐसी संस्थाओं का बहुत बड़ा योगदान है। 60 वर्ष से ऊपर के सफर में कई उतार-चढ़ाव भी स्कूल ने देखें हैं। आज भी उसी उत्साह, ताकत और क्षमता के साथ स्कूल दिशा तय कर रहा है। देश में स्कूल की एक अलग पहचान है। चुनौतियों के बावजूद अपने मुकाम तक पहुंचना कठिन होता है। फादर अजीत खेस की भूमिका सिर्फ कैंपस के आसपास नहीं बल्कि उनकी दूरदर्शिता कई मायनों में खास है। स्कूल का प्रयास सदैव आगे बढ़ने का रहा है।
मौके पर संत जेवियर्स स्कूल के प्रिंसिपल रेवरेन फादर अजीत खेस एसजे, रेवरेन विनय कंडूलना, रेक्टर एलेक्स एक्का एवं अन्य उपस्थित थे।