डेस्क:मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत भारत में पहली बार समुद्र के नीचे बुलेट ट्रेन दौड़ने का सपना जल्द ही हकीकत बनने वाला है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को इस हाई-स्पीड रेल परियोजना के अंतर्गत ठाणे क्रीक के नीचे बन रही 21 किलोमीटर लंबी सुरंग का निरीक्षण किया और इसकी प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।
समुद्र के नीचे 7 किलोमीटर लंबी सुरंग
यह सुरंग बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) स्टेशन को शिलफाटा से जोड़ेगी, जिसमें 7 किलोमीटर का हिस्सा ठाणे क्रीक के नीचे होगा। यह भारत की पहली ऐसी सुरंग है जो समुद्र के नीचे बनाई जा रही है। रेल मंत्री ने बताया कि इस सुरंग का डिज़ाइन और निर्माण अत्याधुनिक तकनीक से किया जा रहा है, ताकि दोनों दिशाओं में ट्रेनें 250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सुरक्षित और कुशलता से गुजर सकें।
हाई-स्पीड ट्रेन: समय की बचत और शहरी विकास में योगदान
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह परियोजना न केवल यात्रा के समय को कम करेगी, बल्कि मुंबई और अहमदाबाद के बीच आर्थिक विकास और शहरी विकास को भी बढ़ावा देगी। उन्होंने बताया, “इस गलियारे के साथ बनाए जा रहे स्टेशन शहरी विकास को तेज करेंगे और दैनिक यात्रियों की उत्पादकता में इजाफा करेंगे।”
उन्होंने इसे केवल एक परिवहन परियोजना के बजाय भारत की अर्थव्यवस्था को एकीकृत करने का माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मध्यम वर्ग के लिए किफायती और तेज परिवहन का सपना साकार हो रहा है।
बीकेसी स्टेशन: इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना
रेल मंत्री ने कहा कि बीकेसी स्टेशन एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, जिसमें 10 भूमिगत तल और 7 तल जमीन से ऊपर होंगे। इसके अलावा, सुरंग में हवा, प्रकाश और पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा गया है।
परियोजना के प्रमुख तथ्य
- कुल लंबाई: 508 किलोमीटर
- स्टेशन: 12 (मुंबई, ठाणे, विरार, बोईसर, वापी, सूरत, अहमदाबाद आदि)
- कुल लागत: लगभग ₹1.08 लाख करोड़
- समुद्र के नीचे सुरंग: 21 किलोमीटर (7 किलोमीटर समुद्र के नीचे)
जापानी विशेषज्ञों की देखरेख में निर्माण
रेल मंत्री ने बताया कि इस हाई-स्पीड रेल परियोजना का निरीक्षण और अनुमोदन जापानी विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है। इसके साथ ही, नदियों पर पुलों के निर्माण और स्टेशनों के बुनियादी ढांचे में तेजी से प्रगति हो रही है।
उम्मीदों पर खरी उतरने वाली परियोजना
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना से न केवल यात्रा के समय में कटौती होगी, बल्कि यह परियोजना भारत के बुनियादी ढांचे और आर्थिक प्रगति का नया अध्याय लिखेगी।