लखनऊ। समाजवादी पार्टी एक ओर अपने बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कराने की कोशिश में जुटी है, तो भाजपा अपनी शरण में आए इन बागियों को कहीं न कहीं समायोजित करने की तैयारी में है। इसी क्रम में सपा के एक बागी विधायक को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने की तैयारी है। उन्हें सपा विधायक के तौर पर इस पद पर बिठाया जा सकता है।
इस तरह का प्रयोग पिछली विधानसभा में भी हो चुका है। जब सपा विधायक रहते हुए नितिन अग्रवाल (वर्तमान में योगी सरकार में मंत्री) को विधानसभा उपाध्यक्ष बना दिया गया। कुछ इसी तरह का प्रयोग फिर दोहराया जाएगा। सपा के युवा विधायक अवध क्षेत्र से आते हैं। पर इसमें एक पेंच यह है कि एक अन्य बागी विधायक ने इस पद पर आने की ख्वाहिश जताई है। विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के सबसे बड़े दल के पास जाता है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव राज्यसभा चुनाव में क्रासवोटिंग करने वाले अपने सात विधायकों की सदस्यता खत्म कराने की पूरी तैयारी में हैं। इसके लिए इन विधायकों से भाजपा के शामिल होने, उनके लिए प्रचार करने व भाजपा के मंच पर बैठने आदि मामले खंगाले जा रहे हैं। खास तौर पर लोकसभा चुनाव में इन विधायकों की भाजपा नेताओं के साथ मेलजोल व बैठकों में शामिल होने पर निगाह रखी गई। असल सपा को अहसास है कि राज्यसभा चुनाव में क्रासवोटिंग के आधार पर उनकी सदस्यता खत्म कराना संभव नहीं होगा। इसके लिए उनकी भाजपा से संबंद्धता को साबित करना होगा। इसीलिए पार्टी पूरी तैयारी व सुबूत जुटाने के बाद ही विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के यहां दल बदल विरोधी कानून के तहत इनकी सदस्यता निरस्त कराने की याचिका दाखिल करेगी।
ये हैं सपा के बागी विधायक
इस साल हुए राज्यसभा चुनाव में क्रासवोटिंग करने वाले सपा के विधायकों में मनोज पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, राकेश पांडेय ,अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य शामिल हैं। इसके अलावा अमेठी से विधायक महाराजी देवी ने राज्यसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। वह पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी हैं। इसके अलावा सपा विधायक पल्लवी पटेल ने भी बागी तेवर दिखाए । महाराजी देवी व पल्लपी पटेल पर सपा ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। लेकिन बाकी पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को कोई रियायत के मूड में नहीं हैं। इन बागियों की पार्टी में वापसी की पैरोकारी करने वालों को उन्होंने इससे दूर रहने का सख्त संदेश दे दिया। अब सदस्यता खत्म कराने के मामले में अंतिम निर्णय विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को लेना है। हालांकि सपा इसके लिए अन्य कानूनी विकल्प पर भी विचार कर रही है।