सरदारशहर, चूरु:सरदारशहर में रविवार को जब एक साथ दो सूर्यों का उदय हुआ तो आस्था, श्रद्धा, भक्ति से ओतप्रोत हजारों करों ने करबद्ध अभिनंदन कर इस अद्वितीय अवसर का लाभ उठाया। भारत के इतिहास में अपना विशेष स्थान रखने वाला सरदारशहर का घंटाघर भी अपने समक्ष सृजत हो रहे इतिहास का गवाह बना उस ऐतिहासिक समय का अंकन कर स्वयं को धन्य महसूस कर रहा था।
सरदारशहर के ऐतिहासिक घंटाघर के पास से गढ की ओर जाने वाला मुख्यमार्ग पर रविवार को मानों श्रद्धा का समुद्र हिलोरें ले रहा था। सूर्योदय से पूर्व ही घंटाघर बाजार का वह मार्ग उपस्थित जनमेदिनी से जनाकीर्ण बनता रहा था। अवसर था जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के सरताज, सरदारशहर के लाल, मानवता के मसीहा महातपस्वी महाश्रमण के नागरिक अभिनंदन के अनूठे उपक्रम का जो यहां आयोजित होना था। प्रातः की मंगल बेला में एक ओर आसमान का सूर्य अपनी लालिमा लिए उदित हो रहा था तो वहीं अध्यात्म जगत के महासूर्य महातपस्वी महाश्रमणजी तेरापंथ भवन से घंटाघर की ओर प्रस्थित हुए। गगनभेदी जयघोष, मंगल वाद्ययंत्रों की ध्वनि से पूरा सरदारशहर गुंजायमान हो रहा था। कुछ मिनट में ही आचार्यश्री ऐतिहासिक घंटाघर के नीचे से गढ जाने वाले मार्ग की ओर बने मंच पर विराजमान हुए तो उपस्थित बटुकों ने शंखनाद कर महासूर्य का अभिनंदन किया। दोनों सूर्य एक साथ एक-दूसरे के अभिमुख हुए तो देदीप्यमान हो उठे। ऐसा दृश्य शायद सरदारशहर की धरा पर पहली बार निहार रही थी। कुछ ही मिनटों में प्रारम्भ हुआ महाश्रमण के महानागरिक अभिनंदन का उपक्रम।
आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री बाबूलाल बोथरा, उद्योगपति श्री विकास मालू, नगरपालिका उपाध्यक्ष श्री अब्दुल रसीद चायल, पूर्व विधायक श्री अशोक पींचा, नगरपालिका अध्यक्ष श्री राजकरण चौधरी ने अभिनंदन के क्रम में अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि आज आप जैसे महान संत को प्राप्त कर यह धरती स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही है। आज इस सड़क पर यह जो दृश्य दिखाई दे रहा है, आज से पहले कभी देखा नहीं गया। आज चिरायु हों और हमें आपसे मंगल प्रेरणा प्राप्त होती रहे।
राज्य आर्थिक पिछड़ा वर्ग आयोग राज्यमंत्री श्री अनिल शर्मा ने कहा कि आज हम सभी के लिए गौरव का क्षण है कि ऐसे राष्ट्र संत की जन्मभूमि पर इस रूप में नागरिक अभिनंदन का आयोजन हो रहा है। हम सभी आप जैसे महात्मा का अभिनंदन स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं।
राजस्थान क्षेत्र के संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल ने भी अपनी अभिव्यक्ति देते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ राजस्थान की ओर से अभिनंदन पत्र का वाचन कर राजस्थान क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम आदि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अनेक पदाधिकारियों संग आचार्यश्री के चरणों में समर्पित किया। इस अवसर पर उपस्थित समस्त जनमेदिनी द्वारा आचार्यश्री के अभिनंदन में गीत का संगान किया गया।
नगरपालिका अध्यक्ष व उपस्थित समस्त पार्षदों ने आचार्यश्री को प्रतीक रूप में नगर की चाबी समर्पित करने के उपरान्त सरदारशहर की अनेकानेक संस्थाओं द्वारा बनाए गए अभिनंदन पत्र का वाचन श्री सम्पत जांगीड़ ने किया। तदुपरान्त उपस्थित लोगों ने वह विशाल अभिनंदन पत्र पूज्यचरणों में समर्पित किया। यह दृश्य को साक्षात अपने नेत्रों से निहार रहे लोग जहां धन्यता की अनुभूति कर रहे थे वहीं टीवी के पारस चैनल, यूट्यूब के तेरापंथ चैनल के सीधे प्रसारण द्वारा जुड़े-जुड़े हजारों-हजारों लोग ऐसे अद्वितीय अवसर की सराहना कर रहे थे।
इस अवसर पर आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि 84 लाख जीव योनियों में मानव जीवन को दुर्लभ बताया गया है। जीवन को अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। भारत के पास संत संपदा, ग्रंथ संपदा और पंथ संपदा है, जो भाग्य की बात है। सन्तों से जनता को सन्मति मिले, ग्रंथों से ज्ञान मिले और पंथों से पथदर्शन प्राप्त हो तो जन-जन का कल्याण हो सकता है। सरदारशहर में जन्म लेने का अवसर प्राप्त हुआ। जन्मभूमि का व्यवहारिक महत्त्व हो सकता है, किन्तु संत तो त्यागी होता है वह तो समस्त प्राणीमात्र का होता है। लम्बे अर्से के बाद सरदारशहर में आना हुआ है। यह मायत भूमि का स्नेह, प्रेम और लगाव भी हो सकता है। नगर की चाबी देना भी बहुत ऊंचा सम्मान है। सरदारशहर की जनता में धार्मिक शांति और सौहार्द बना रहे। आचार्यश्री ने उपस्थित जनमेदिनी से सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति के तीनों संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान किया तो उपस्थित जनमेदिनी ने समवेत स्वर में संकल्पों को स्वीकार कर अपनी श्रद्धाप्रणति अर्पित की। तेरापंथी सभा-सरदारशहर के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ चण्डालिया ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन अशोक भोजक ने किया। आचार्यश्री के मंगलपाठ से ऐतिहासिक नागरिक अभिनंदन का सम्पन्न हुआ, किन्तु इस अद्वितीय और अनूठे कार्यक्रम की भव्यता की चर्चा पूरे दिन होती रही।
प्रवचन स्थल में उपस्थित जनता को भी मिला पावन पाथेय
जन कल्याण को समर्पित आचार्यश्री महाश्रमणजी कार्यक्रम के उपरान्त सरदारशहरवासियों को दर्शन देने नगर भ्रमण करने के उपरान्त पुनः युगप्रधान समवसरण में उपस्थित जनमेदिनी को पावन संबोध प्रदान करने के लिए पधारे। आचार्यश्री ने लोगों को आस्तिक और नास्तिक दर्शन का भेद बताते हुए आस्तिकवाद के अनुसार अपनी आत्मा कल्याण करने, बुराइयों से बचने और अच्छा जीवन जीने की मंगल प्रेरणा प्रदान की।
उपस्थित जनता को साध्वीवर्याजी ने भी उद्बोधित करते हुए ‘मन निर्मलता को प्राप्त करे’ गीत का संगान भी किया। कार्यक्रम में श्रीमती मंजू कोचर तथा श्रीमती मुदिता छाजेड़ ने गीत का संगान किया।