नई दिल्ली : पाकिस्तान की राजनीति में मचा भूचाल रुकने के नाम ही नहीं ले रहा है। सत्ता से बेदखल होने के बाद भी इमरान खान सड़कों पर हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच एक ऐसा दावा सामने आया है जिसमें बताया गया है कि सरकार गिरने से पहले इमरान खान देश के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मिलना चाह रहे थे और अपनी सरकार बचाने के लिए मदद की उम्मीद कर रहे थे। यह दावा एक कथित ऑडियो लीक में किया गया है।
किसी भी तरह सरकार बचाने का प्रयास!
दरअसल, डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पाकिस्तान के कारोबारी मलिक रियाज हुसैन के बीच एक कथित फोन वार्ता की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग लीक होकर वायरल हो गई है। रिपोर्ट में दवा किया गया है कि इस बातचीत में रियाज हुसैन यह कह रहे हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान सुलह के लिए जरदारी से बात करना चाहते थे, वे चाहते थे कि किसी भी तरह उनकी सरकार बच जाए।
जरदारी ने जवाब दिया था- ऐसा असंभव
इस कथित बातचीत में जरदारी को रियाज यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि इमरान उन्हें संदेश भेज रहे हैं कि वे उनसे मिल लें। रियाज ने पूर्व राष्ट्रपति से कहा कि उन्होंने कई संदेश भेजे हैं, इसके बाद जरदारी ने भी जवाब दिया कि अब ऐसा असंभव है। फिर रियाज ने कहा कि ठीक है, मैं बस आपके संज्ञान में लाना चाहता था। डॉन के मुताबिक यह आवाजें जरदारी और रियाज की हैं। हालांकि यह बातचीत किस तारीख को हुई थी इस बारे में पता नहीं चल पाया है।
इमरान की पार्टी ने बताया फर्जी ऑडियो
उधर इस ऑडियो वायरल के बाद पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा हो रही है। ऑडियो सामने आने के बाद इमरान की पार्टी पीटीआई ने तत्कान इसका खंडन कर दिया। पीटीआई ने कहा कि यह फर्जी है। पार्टी के बयान के मुताबिक एक कारोबारी एवं इमरान खान विरोधी एक नेता के बीच बातचीत हुई जिसे इमरान खान से जोड़ा जा रहा है। लेकिन इस बातचीत का हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि मजे कि बात यह है कि आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुआ बताया कि यह वास्तविक जान पड़ता है।
इधर इमरान ने खत्म किया अपना प्रदर्शन
यह ऑडियो रिकार्डिंग उस समय सामने आई है जब इमरान खान ने सरकार विरोधी अपना धरना अचानक खत्म करने का ऐलान कर दिया। इमरान ने इन खबरों का खंडन किया कि चुनाव की मांग संबंधी आजादी रैली खत्म करने के लिए उन्होंने सेना के साथ सौदेबाजी की है। उन्होंने कहा कि उन्होंने खून-खराबा रोकने के लिए अपना मार्च खत्म करने का निर्णय लिया है।