डेस्क:केंद्रीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने सरकार को रिकॉर्ड डिविडेंड देने का ऐलान किया है। आरबीआई ने कहा कि वह वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड देगा। यह वित्त वर्ष 2023-24 में दिये गये 2.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इसके पहले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भुगतान वितरण 87,416 करोड़ रुपये रहा था।
बैठक में लिया गया फैसला
केंद्रीय बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में शुक्रवार को बैठक हुई। इस बैठक में घरेलू और वैश्विक आर्थिक स्थिति की समीक्षा की गई। इस दौरान निदेशक मंडल ने अप्रैल 2024 -मार्च 2025 के दौरान रिजर्व बैंक के कामकाज पर भी चर्चा की और वर्ष 2024-25 के लिए रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय विवरणों को मंजूरी दी। इसके साथ ही बोर्ड ने 2.69 लाख करोड़ रुपये का सरप्लस केंद्र सरकार को ट्रांसफर करने की मंजूरी दी।
इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) के तहत आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) को अब बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत किया जाएगा, जो पहले 6.5 प्रतिशत था। बता दें कि कोविड-19 महामारी के समय आरबीआई ने आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए 5.5 प्रतिशत का सीआरबी बनाए रखा था, जिसे पिछले दो वर्षों में क्रमशः छह प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत तक बढ़ाया गया था।
आरबीआई क्यों देता है डिविडेंड
आरबीआई अपने आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) के आधार पर सरकार को डिविडेंड देता है। इस ढांचे को पूर्व आरबीआई गवर्नर विमल जालान के नेतृत्व वाली विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर अगस्त, 2019 में लागू किया गया था। जालान समिति ने आरबीआई के बही-खाते का 5.5 से 6.5 प्रतिशत हिस्सा आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) के रूप में रखने का सुझाव दिया था। इसे अब बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत किया जाएगा। पिछले हफ्ते, आरबीआई बोर्ड ने ईसीएफ की समीक्षा की थी। इसके आधार पर ही सरकार को सरप्लस ट्रांसफर किया जाता है।