अक्सर लोग यात्रा करने के बाद थकान की शिकायत करने लगते हैं। मगर एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया है कि यात्रा चिंता, अवसाद से निपटने में बेहद कारगर साबित हो सकती है। साल 2021 में प्रकाशित मनोरोगियों पर हुए एक अध्ययन के अनुसार, दैनिक गतिविधियों में भिन्नता का संबंध उच्च स्वास्थ्य से है।
शोधकर्ताओं ने बताया,वैश्विक महामारी के दौरान सक्रिय रहना चुनौतीपूर्ण रहा है, खासकर जब बहुत से लोग बाहर जाने से डरते हैं। कुछ लोग घर पर व्यायाम करना पसंद करते हैं, लेकिन वास्तविक दुनिया में, अनियोजित आउटिंग महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संबंधी विचार हैं, जिन्हें हम कभी-कभी अनदेखा भी कर देते हैं।
स्विट्जरलैंड के बेसल में यूनिवर्सिटी साइकियाट्रिक क्लीनिक के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया कि लोग जितने अलग-अलग स्थानों पर जाते हैं, वे अपने भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कल्याण के बारे में उतना ही बेहतर महसूस करते हैं । हालांकि उनकी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बनी रह सकती हैं।
इस अध्ययन में महामारी के आने से पहले मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं जैसे भावात्मक विकार, चिंता विकार, मनोदशा संबंधी विकार, व्यक्तित्व विकार और जुनूनी-बाध्यकारी विकार वाले 106 रोगियों को देखा गया। इनमें से कुछ अस्पताल में भर्ती थे, जबकि अन्य बाहरी रोगी थे, जो घर पर रहते थे। लेकिन उन्हें नियमित चिकित्सा की आवश्यकता होती थी।
जीपीएस का उपयोग करके अपनी यात्रा को ट्रैक करने के लिए इन रोगियों ने एक सप्ताह के लिए अपने साथ एक अतिरिक्त फोन लिया। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत खुशी, मनोवैज्ञानिक लचीलेपन और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में प्रश्नावली भी भरी।
जब शोधकर्ताओं ने इन सर्वेक्षणों के निष्कर्षों की तुलना जीपीएस मानचित्रों से की, तो उन्होंने पाया कि यात्रा के दौरान खुद को समय देना एक मजबूत भावना से जुड़ा हुआ था, हालांकि, मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लक्षण लगभग समान रहे। शोधकर्ताओं ने कहा, मानसिक बीमारी के अन्य संकेत, रोगी की दैनिक गतिविधियों पर समान प्रभाव नहीं डालते हैं।