हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसे प्रबोधिनी एकादशी या देवुत्थान एकादशी भी कहते हैं। इस दिन चातुर्मास का समापन होता है क्योंकि इस तिथि को भगवान श्रीहरि विष्णु चार माह के योग निद्रा से बाहर आते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
देवउठनी एकादशी तिथि 2022-
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 03 नवंबर, गुरुवार को शाम 07 बजकर 30 मिनट से हो रहा है। इस तिथि का समापन अगले दिन 04 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर होगा। देवउठनी एकादशी 04 नवंबर 2022 को है।
देवउठनी एकादशी के चौघड़िया मुहूर्त-
चर – सामान्य: 06:35 ए एम से 07:57 ए एम
लाभ – उन्नति: 07:57 ए एम से 09:20 ए एम
अमृत – सर्वोत्तम: 09:20 ए एम से 10:42 ए एम
शुभ – उत्तम: 12:04 पी एम से 01:27 पी एम
लाभ – उन्नति: 08:49 पी एम से 10:27 पी एम
एकादशी पूजा- विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी होता है।
इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह किया जाता है।
इस दिन माता तुलसी और शालीग्राम भगवान की भी विधि- विधान से पूजा करें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
एकादशी व्रत पूजा सामग्री लिस्ट
श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति
पुष्प
नारियल
सुपारी
फल
लौंग
धूप
दीप
घी
पंचामृत
अक्षत
तुलसी दल
चंदन
मिष्ठान
देवउठनी एकादशी व्रत पारण का समय-
देवउठनी एकादशी व्रत का पारण 5 नवंबर, शनिवार को किया जाएगा। इस दिन व्रत पारण सुबह 06 बजकर 36 मिनट से सुबह 08 बजकर 47 मिनट के बीच कर लेना चाहिए। इस दिन द्वादशी तिथि का समापन शाम 05 बजकर 06 मिनट पर होगा।