डेस्क:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक सरकार को चिक्कमगलुरु जिले की मशहूर दत्तपीठ पर पूजा-अधिकार से जुड़े मामले में फैसला लेने के लिए आखिरी मौका दिया। यह पवित्र स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लिए अहम माना जाता है। अदालत ने सरकार को आठ हफ्ते के अंदर अपना निर्णय पेश करने का हुक्म दिया है। अगर सरकार इसमें नाकाम रही, तो उसे कोर्ट के तय किए गए जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। मामला कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें मार्च 2018 में सरकार द्वारा सिर्फ एक मुजावर (मुस्लिम पुजारी) को दत्तपीठ में धार्मिक रस्में निभाने की इजाजत देने का फैसला रद्द कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक आज़ादी के अधिकार का “स्पष्ट उल्लंघन” करार दिया था।
आज की सुनवाई के दौरान, कर्नाटक सरकार के वकील ने अदालत को बताया, “जहां तक दत्तपीठ का ताल्लुक है, हिंदू समुदाय के लिए वहां हिंदू पुजारी हैं और मुस्लिम समुदाय के लिए एक मुजावर है, जो उनके धार्मिक कार्य देख रहे हैं।” वहीं मुख्य न्यायाधीश ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार को थोड़ा और वक्त दिया और कहा, “कुछ फैसले मुश्किल होते हैं, हम ये मानते हैं। लेकिन आखिरकार फैसला तो लेना ही होगा। हम आपको 25 जनवरी 2024 के आदेश के मुताबिक और वक्त देते हैं।”
याद रहे कि 25 जनवरी 2024 के आदेश में कर्नाटक सरकार को इस विवाद पर अपनी रिपोर्ट या निर्णय देने के लिए समय दिया गया था। उस आदेश में कहा गया था कि राज्य ने इस मामले को सुलझाने के लिए एक कैबिनेट सब-कमेटी बनाई है, जो इस पर विचार कर रही है।