मुंबई: सिवा ट्रस्ट के तत्वावधान में अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी व अध्यक्ष, अखिल भारतीय संत समिति के अवतरण महोत्सव एवं सिवा ट्रस्ट वार्षिकोत्सव का भव्य आयोजन ‘मंडपम’ इस्कॉन आश्रम हरे कृष्णा लैंड, जुहू, मुंबई में किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के माध्यम से स्वामी चिदम्बरानन्द को उनके जन्मदिवस पर बधाई दी।
इस मौके पर आमन्त्रक महामंडलेश्वर स्वामी संविदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि महामंडलेश्वर चिदम्बरानन्द महाराज के जन्मोत्सव एवं सिवा ट्रस्ट वार्षिकोत्सव के पावन अवसर पर देश भर से संत महापुरुषों व् श्रद्धालुओं की उपस्थिति व् सहभागिता के लिए हम आभार प्रकट करते हैं।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानन्द गिरी जी महाराज, पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानन्द सरस्वती जी महाराज, पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी अभयानन्द सरस्वती जी महाराज ने शिरकत की। इसके साथ ही बतौर मुख्य अतिथि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा के सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी जी महाराज, पूज्य दंडी स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज, राष्ट्रीय महामंत्री अखिल भारतीय संत समिति व् श्री अशोक तिवारी राष्ट्रीय मंत्री विश्व हिन्दू परिषद् ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुए स्वामी जी को ढेरों शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी चिदम्बरानन्द जी महाराज ने कहा, “हिन्दू धर्म सबकी शान्ति, विश्व के कल्याण की बात करता है …’सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत’ अर्थात सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े। ऐसे विचार आपको संसार की किसी भी संस्कृति में देखने को नहीं मिलेंगे जहां चींटी से लेकर ब्रह्मा तक के कल्याण और सुखी होने की बात की गयी हो …हमारी मूलतः अवधारणा में कहीं कोई बंधन नहीं, हिंदुत्व का दायरा सीमित नहीं….हम सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों के प्रति भी उदार हैं…. हम चींटियों मछलियों को भी भोजन कराते हैं …..सनातन धर्म हमें जानवरों को खाने की नहीं अपितु खिलाने की सीख देता है…सबके कल्याण और शान्ति के साथ दूसरा पक्ष यह भी है कि हमारी सनातन संस्कृति को नुकसान पहुंचाने व् अनादर करने की चेष्टा करने वालों को हम अस्वीकार करते हैं …हमने रावण को उसके घृणित कार्यों के लिए सबसे पहले शान्ति सन्देश ही दिया किन्तु उसने अपने आचरण में सुधार नहीं किया। परिणामस्वरूप हमने उसका संहार भी किया। कौरवों के पास भगवान कृष्ण स्वयं शान्ति दूत बनकर गए लेकिन जब वे नहीं माने तो उन दुराचारियों का विनाश करने पर भी संकोच नहीं किया।”
ग़ौरतलब है, मात्र 11 वर्ष की आयु में अपने घर को छोड़ स्वामी चिदम्बरानन्द गुरु की शरण में आये और 05 वर्ष निरंतर सेवा, साधना व् स्वाध्याय के बाद उन्होंने अकेले ही पूरे भारत में सनातन धर्म व् संस्कृति के प्रचार-प्रसार का संकल्प लिया और इस दिशा में आगे बढ़े व वैश्विक स्तर पर अमेरिका और यूरोप में भी स्वामी जी ने भारी मात्रा में लोगों को सनातन धर्म से जोड़ा। इसके साथ ही घर वापसी (वैदिक पद्धति से धर्मांतरण) के इच्छुक अनेकों मुस्लिमों व ईसाइयों को खुले हृदय से सनातन धर्म में शामिल भी किया।