नई दिल्ली: झारखंड के पारसनाथ में स्थित जैन समुदाय के धार्मिक तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को केंद्र ने इको सेंसेटिव जोन (Eco Sensitive Zone) घोषित किए जाने के अपने आदेश को गुरुवार को वापस ले लिया। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि अब यह पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा। इस मामले पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपने ट्वीट में कहा कि सम्मेद शिखर की पवित्रता की रक्षा का आग्रह करने वाले जैन समुदाय के विभिन्न प्रतिनिधियों से मिला। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि केंद्र सम्मेद शिखर सहित जैन समाज के सभी धार्मिक स्थलों पर उनके अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्र ने जारी की अधिसूचना
मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि शिकायतों में झारखंड सरकार द्वारा पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य के इको सेंसिटिव जोन की अधिसूचना के प्रावधानों के गलत कार्यान्वयन का उल्लेख किया गया है। बताया जा रहा है कि सरकारी अधिकारियों की इस तरह की लापरवाही से जैन समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इन मामले में राज्य के वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव एल खियांग्ते को पत्र भेजकर इको सेंसेटिव जोन के तहत कोई कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए। साथ ही निगरानी समिति में जैन समाज के दो सदस्यों को भी शामिल करने के भी निर्देश दिए।
पवित्रता बनाए रखने के लिए मंत्रालय प्रतिबद्ध
भूपेंद्र यादव ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि मंत्रालय इस तथ्य को स्वीकार करता है कि सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र न केवल जैन समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक पवित्र जैन धार्मिक स्थान है और मंत्रालय इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र ने राज्य सरकार को पारसनाथ में शराब, ड्रग एवं अन्य नशीले पदार्थ की बिक्री, तेज संगीत, लाउडस्पीकर आदि पर रोक को सख्ती से लागू करने के निर्देश भी दिए। भारत सरकार के वन महानिरीक्षक (वन्य जीव) रोहित तिवारी ने इसे लेकर राज्य सरकार को एक पत्र लिखा है।