बच्चे जब घर से बाहर निकलने लगते हैं तो स्कूल, पार्क और काफी सारी जगहों पर जाना शुरू करते हैं और लोगों से मिलते हैं। स्कूल फ्रेंड हो या फिर सोसाइटी के फ्रेंड, उनके साथ मिलकर ढेर सारी मस्ती करते हैं और काफी कुछ सीखते हैं। इस सीखने के क्रम में कई बार बच्चे बैड वर्ड्स यानी गाली बोलना भी सीख जाते हैं। जिसे वो कई बार गुस्से में इस्तेमाल करते हैं। अगर बच्चा गाली देना सीख गया है तो जरूरी है कि उसे सही तरह से डील किया जाए। जिससे कि फ्यूचर में वो इन बातों को रिपीट ना करें।
ना दे ज्यादा अटेंशन
जब आप पहली बार बच्चे के मुंह से इस तरह के वर्ड सुनती हैं तो गुस्सा आना स्वाभाविक है। लेकिन बैड वर्ड को सुनकर एक बार में गुस्सा होना बच्चे को कंफ्यूज कर सकता है। वहीं कुछ बच्चे बिना इन बातों का मतलब समझे इसे फ्यूचर के लिए दिमाग में स्टोर कर लेते हैं। जिससे कि अटेंशन लिया जा सके। ऐसे बच्चे के मुंह से बैड वर्ड्स सुनने के बाद भी धैर्य रखें और आराम से समझाएं।
बच्चे से पूछें मतलब
ज्यादातर बच्चे बैड वर्ड्स का मतलब नहीं जानते हैं। क्योंकि वो इनका मतलब समझने के हिसाब से काफी छोटे होते हैं। ऐसे में आप उन्हें समझाने के लिए उन बातों का मतलब पूछ सकती हैं और समझा सकती हैं कि ये बुरे शब्द हैं जिन्हें नहीं बोलना चाहिए।
बच्चे को बताएं कि इस तरह की बातें और व्यवहार एक्सेप्टेबल नही है
बच्चा किसी दूसरे के सामने गाली दे रहा है या फिर वल्गर शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है तो उसे बताएं कि इस तरह का व्यवहार एक्सेप्टेबल नही है। अगर वो गुस्सा जताने के लिए इन शब्दों को बोल रहा है तो उसे गुस्सा जाहिर करने के दूसरे शांत तरीके सिखाएं।
माफी मांगना भी सिखाएं
बच्चे ज्यादातर बार इन बातों का मतलब नहीं समझते हैं। अगर आप बच्चे की नादानी समझकर और ये जानकर बच्चे गलती करते ही हैं। इसे ऐसे ही छोड़ देंगी तो उसे बैड वर्ड्स बोलने के लिए बढ़ावा ही मिलेगा। अगर आपका बच्चा किसी को गाली बोलता है या अपशब्द बोलता है तो उसे माफी मांगना सिखाएं।
खुद के व्यवहार में भी जरूरी है बदलाव
बच्चे को आप किसी को भी गाली-गलौच करने से मना करते हैं। लेकिन छिपकर इन शब्दों को इस्तेमाल में लाते हैं तो बच्चा कभी ना कभी इन बातों को सुनकर सीखेगा ही। इसलिए परिवार में किसी भी सदस्य को गलत शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। तभी बच्चा भी अच्छी बातें सीखेगा।