अमराईवाड़ी, ओढव, अहमदाबाद (गुजरात)
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के अहमदाबाद प्रवास का 21 वां दिवस, अंतिम पड़ाव ओढव, श्रद्धा भावों से विह्वल श्रद्धालु जन, हर ओर गूंजता एक ही स्वर गुरुवर पुनः शीघ्र पधारों, गुरुवर पुनः शीघ्र पधारों। कुछ ऐसा नजारा ही देखने को आज मिल रहा था जब आज प्रातः जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्त, अणुव्रत यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कांकरिया–मणिनगर से अपने इस बार के अहमदाबाद प्रवास के अंतिम पड़ाव की ओर प्रस्थान किया। गुरुदेव का 21 दिवसीय भव्य प्रवास प्राप्त कर अहमदाबाद वासी एक ओर जहां अपने भाग्य की सराहना कर रहे थे वही विहार की घड़ियां सभी को भावुक कर रही थी। प्रातः जे. एम. जैन हाउस से आचार्यश्री ने मंगल प्रस्थान किया। मार्गस्थ कई स्थलों पर श्रद्धालुओं को पावन आशीष प्रदान करते हुए गुरुदेव गंतव्य की ओर गतिमान हुए। लगभग 5 किमी. विहार कर गुरुदेव अमराईवाड़ी, ओढव पधारे तो जय जय ज्योतिचरण जय जय महाश्रमण के गगन गुंजायमान स्वरों में भक्तों ने अपने आराध्य का स्वागत किया। सिंघवी भवन में गुरुदेव का प्रवास हेतु पदार्पण हुआ।
आज सूरत से भी 2100 से अधिक श्रद्धालु अपने आराध्य की अगवानी करने, दायित्व स्वीकरण करने पूज्य चरणों में उपस्थित थे। आगामी अक्षय तृतीया सहित आचार्य श्री महाश्रमण जन्मोत्सव, पट्टोत्सव, दीक्षा कल्याण महोत्सव सहित विविध महत्वपूर्ण आयोजन सूरत में समायोज्य है। कार्यक्रम पश्चात दायित्व स्वीकरण का क्रम रहा जिसमें आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति अहमदाबाद के अध्यक्ष श्री गौतम बाफना आदि ने आचार्य श्री महाश्रमण अक्षय तृतीया प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री संजय सुराणा आदि पदाधिकारियों को प्रतीकात्मक ध्वज हस्तांतरण किया।
मंगल प्रवचन में गुरुदेव ने कहा– हमारे शरीर में पांच ज्ञानेन्द्रियाँ होती है, उनमें श्रोतेन्द्रिय एक महत्वपूर्ण इन्द्रिय है। इसके होने से ही जीव पंचेन्द्रिय हो सकता है, उसके अभाव में नहीं। व्यक्ति सुनकर ही श्रेय और अश्रेय को जनता है, कल्याण तथा अकल्याण दोनों को जानता है। व्यक्ति को श्रेय का आचरण व अश्रेय अर्थात पापकारी वृत्तियों को छोड़ने का प्रयास करना चाहिएं। सुननी हो तो उपयोगी बातों में समय का नियोजन करे ना की गपशप में समय को बर्बाद करना चाहिए। सुनना ज्यादा बोलना कम इस प्रकार कानों की शक्ति का उपयोग होना चाहिए। पवित्र वाणी सुनने से व्यक्ति ज्ञान को प्राप्त करता है, तत्व की बातों को जानता है।
गुरुदेव ने आगे कहा कि व्यक्ति अच्छी ज्ञानपूर्ण बातों को सुने, जाने फिर उनपर मनन करके अपने जीवन में उतारने का प्रयास करे। सम्यक आचरण से ही व्यक्ति के जीवन की दिशा व दशा बदल सकती है। अच्छी बातें एकाग्र-चित होकर सुने व सुनते समय नींद व गपशप से बचें। गुरु ज्ञान पूर्ण बात बताते है तो उससे जीवन में अंगीकार करने का प्रयास करना चाहिए। यह धन, माया सब इसी संसार में रह जाते है। व्यक्ति जब अगली गति में जाता है तो साथ में कुछ नहीं जाता। जीवन में सदाचार आए इस हेतु प्रयास रहना चाहिए।
तत्पश्चात भावाभिव्यक्ति के क्रम में अहमदाबाद व्यवस्था समिति अध्यक्ष श्री गौतम बाफना, प्रवास व्यवस्था समिति सूरत अध्यक्ष श्री संजय सुराणा, तेरापंथ सभा अमराईवाड़ी अध्यक्ष श्री रमेश पगारिया, श्री अरुण बैद, श्री गणपत हिरण, श्री सज्जनलाल सिंघवी, श्री हेमंत पगारिया, श्री दिनेश चिंडालिया, श्री पुखराज कुकड़ा, श्री नरेंद्र चोरड़िया, श्री अरविंद डोसी, श्रीमती सेजल मंडोत, श्रीमती संगीता सिंघवी आदि ने अपने विचार रखे।
ज्ञानशाला के बच्चों ने नरक गति के ऊपर परिसंवाद की प्रस्तुति दी। तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल की सदस्याओं ने पृथक–पृथक गीतों का संगान किया। सूरत तेरापंथ समाज एवं अहमदाबाद समस्त सभा संस्थाओं के अध्यक्ष, मंत्रियों ने समूह स्वरों में प्रस्तुति दी।