नूंह:राजस्थान के भरतपुर जिला स्थित गांव घाटमीका निवासी जुनैद और नासीर हत्याकांड के बाद से ही नूंह में नफरत की आग पनप रही थी। एक समुदाय के बीच इस हत्याकांड को लेकर रोष है। उन्होंने कई बार इस बाबत विरोध-प्रदर्शन भी किया है। इसमें मोनू मानेसर समेत कई लोग आरोपी हैं। राजस्थान की पुलिस कई आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। जबकि फरार चल रहे आरोपियों की तलाश कर रही है।
दरअसल, नासीर और जुनैद के परिजनों ने 15 फरवरी को राजस्थान स्थित भरतपुर के गोपालगढ़ थाना में एक शिकयत दी थी। उसमें उन्होंने दोनों के अपहरण की आशंका जाहिर की थी। पुलिस शिकायत पर जांच कर ही रही थी, कि 16 फरवरी की सुबह लोहारू के गांव बारवास की बणी में जली हुई एक कार के अंदर पुलिस को दो कंकाल बरामद हुए।
मोनू मानेसर पर लगा था दोनों की हत्या कराने का आरोप
जांच करने पर दोनों कंकाल की पहचान नासिर और जुनैद के रूप में हुई। दोनों की हत्या का आरोप मोनू मनेसर, श्रीकांत आदि पर लगा। आरोप है कि मोनू मानेसर और उसके दोस्तों ने नासिर, जुनैद की हत्या कर एक जीप में डाल दिया और भिवानी के जंगल में जीप को जला दिया। तब से नूंह के एक समुदाय में मोनू मानेसर व उसके समर्थकों के खिलाफ रोष है।
पुलिस ने साइबर ठगों पर की थी बड़ी कार्रवाई
अप्रैल में पांच हजार हरियाणा की पुलिस ने नूंह के 14 गांवों में एक साथ छोपमारी की थी। इस दौरान पुलिस ने 70 से अधिक साइबर ठगों को गिरफ्तार किया। साथ ही छापेमारी के दौरान फरार अन्य आरोपियों की तलाश में पुलिस गांव में लगातार दबिश दे रही थी। इससे भी लोगों में पुलिस के प्रति नफरत था।
राजस्थान से भी भड़काया जा रहा था उन्माद
सूत्रों के अनुसार नूंह में रह रहे अधिकांश लोगों की रिश्तेदारी राजस्थान के भरतपुर, अलवर आदि शहरों में है। ऐसे में नासिर-जुनैद की हत्या के बाद से राजस्थान के लोग नूंह में अपने रिश्तेदारों में नफरत फैला रहे थे। वह उनसे विरोध करने के प्रेरित करते थे। लिहाजा फरवरी से अब तक नूंह में उपद्रवियों की ओर से दो बार हिंसा को अंजाम दिया जा चुका है। वहीं, मामले में पुलिस का कहना है कि उपद्रवियों की पहचान के लिए छापेमारी जारी है।
सीसीटीवी फुटेज से होगी आरोपियों की पहचान
नासिर-जुनैद हत्याकांड के बाद फरवरी में हुई हिंसा के बाद और जिले में यातायात नियमों को सुचारू करने के लिए जगह-जगह 70 एएनपीआर सीवीटीवी कैमरे लगाए गए थे। ये कैमरे नूंह शहर और सदर क्षेत्रों में ज्यादा लगाए गए थे। अधिकारियों के अनुसार पुलिस अब उन कैमरों की भी फुटेज खंगाल रही है और आरोपियों की पहचान करने में जुटी है। जानकारी के अनुसार यह कैमरे फरवरी-मार्च के महीने में लगाए गए थे। पुलिस का दावा था कि इन कैमरों की मदद से असमाजिक तत्वों पर आसानी से नजर रखी जाएगी। साथ ही लगातार हो रहे हादसों पर भी विराम लग सकेगा। कैमरे की मदद से यातायात नियमों को तोड़ रहे वाहनों का चालान किया जाएगा।