षटतिला एकादशी 2022: आज यानी 18 जनवरी को आज रखा जा रहा षटतिला एकादशी का व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व षटतिला एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तिल का भोग लगाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि षटतिला एकादशी के दिन तिल का दान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति जितना तिल दान करता है, उसे उतने हजार वर्ष तक स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। जो भी जातक इस दिन तिल का छह तरह से उपयोग करता है, उसे कभी धन की कमी नहीं होती और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। तो चलिए जानते हैं कि षटतिला एकादशी की पूजा का मुहूर्त और पारण का समय…
कब है षटतिला एकादशी 2023
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 जनवरी 2023, मंगलवार शाम 6 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 18 जनवरी 2023, बुधवार शाम 4 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि को देखते हुए आज यानी 18 जनवरी 2023 को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जा रहा है।
षटतिला एकादशी व्रत का पारण
जो भी जातक षटतिला एकादशी का व्रत रखेंगे वो इसका पारण 19 जनवरी 2023 को सूर्योदय के बाद कर सकते हैं।
षटतिला एकादशी व्रत एवं पूजा विधि
षटतिला एकादशी व्रत रखने वाले दिन गंध, फूल, धूप दीप, पान सहित विष्णु भगवान की षोडशोपचार से पूजन करें।
उड़द और तिल मिश्रित खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाएं।
रात को तिल से 108 बार ”ॐ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा” इस मंत्र से हवन करें।
रात को भगवान के भजन करें, अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।
इसके बाद ही स्वयं तिल युक्त भोजन करें।
षटतिला व्रत का महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, षटतिला एकादशी के व्रत से घर में सुख-शांति के वास होता है। इस दिन तिल का विभिन्न तरह से इस्तेमाल करके हर कष्ट से छुटकारा पाया जा सकता है। इस व्रत को करने से जातक पर श्री हरि विष्णु की कृपा बनी रहती है।