संबोधी उपवन राजसमंद, युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि रविंद्र कुमार जी ठाणां-2 एवं मुनि श्री धर्मेश कुमार जी ठाणा- 3 के दर्शनार्थ हेतु राजनगर ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी एवं प्रशिक्षकाएं आई। ञानशाला परिवार को संबोधित करते हुए मुनि श्री अतुल कुमार जी ने कहा जिस व्यक्ति का चरित्र ही उच्च हो, उच्च कोटि के विचार और दयालु स्वभाव हो ऐसा व्यक्ति सबसे श्रेष्ठ में से एक है। माला जपने का अर्थ ईश्वर का नाम लेकर आत्म शुद्धि करना ही है और जिस व्यक्ति के पास अच्छे विचार और अच्छे संस्कार हों तो इसका मतलब उसे तो ईश्वरीय सत्ता मिल ही चुकी है। जो झूठ ना बोलता हो, हिंसा ना करता हो, शुद्ध तथा निर्मल स्वभाव का मालिक हो और सभी से प्रेम करे ऐसा व्यक्ति जो पूजा-पाठ ना भी करे तो भी उसकी सद्गति निश्चित है। बस एक बात याद रखें पूजा पाठ करें चाहे ना करें लेकिन अगर आप सभी का भला चाहते है तो ईश्वर हर समय आपके साथ ही है और अगर कोई मन ही मन द्वेष भाव रखता है तो ईश्वर को जितना मर्जी पूज लें, वह उसे नहीं मिल सकते। मुनि श्री ने आगे कहा माता पिता बच्चों की परवरिश करते है, संस्कार डालते है ये बच्चों के जीवन पर बहुत गहरी छाप छोड़ते हैं। बच्चों के पूरे जीवन को पूरा आकार, पूरी शेप देते है। ये परवरिश बच्चों को या तो नकारात्मक राह पर ले जाती है या सकारात्मक राह पर। तो यह परवरिश का वक्त बहुत ही क्रिटिकल होता है। ये बात बहुत ज़रूरी है कि बच्चे माता-पिता की इज्जत करें। थोड़ा सा डर उनके मन में माता पिता के प्रति होना चाहिए लेकिन यह डर इतना नहीं होना चाहिए कि माता-पिता के दरवाजे बच्चों के लिए हमेशा के लिए बंद हो जाएं। वो उनकी एप्रोच ही ना कर पाएं, उनके पास आ ही ना पाएं। उनको ये हमेशा पता होना चाहिए कि गलत करूंगा तो डांट पड़ेगी, पनिशमेंट मिलेगा लेकिन मेरे माता-पिता मेरी बात सुनेंगे, मेरा साथ नहीं छोड़ेंगे। बातचीत का रास्ता खुला होना चाहिए। इतना भी डर नहीं होना चाहिए कि वो माता पिता से बात ही ना कर पाएं। कहीं वो अंदर ही अंदर घुटते ना चले जाएं। माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों पर अपने आपको ना थोपें। उसकी मर्जी जानना भी पूर्ण जरूरी है कि वो क्या चीज़ कैसे करना चाहता है। जब वो छोटा हो तभी से उसको अपने फैसले लेने दें, उसे सोचने दें कि वो क्या करना चाहता है। ये वाली आइसक्रीम ले लो, ये वाला खिलौना अच्छा है, यहीं चलेंगे, यही सब्जेक्ट चूज करो, इससे दोस्ती नहीं रखनी, माता पिता अपने फैसले जितने बच्चों पर थोपेंगे उतना वो उन पर निर्भर हो जाएंगे। बच्चों को थोड़े धक्के खाने दें, कुछ गलतियां भी करने दें, अपने चुनाव करने दें, अपने फैसले लेने दें। जीवन की पक्की सीख गलतियां करने पर ही मिलती है, तो गलतियां भी करने दें। बड़ी गलतियों पर नजर रखें जैसे वो ड्रग्स ले रहा है, शराब ले रहा है लेकिन छोटे-मोटे फैसले उसे खुद लेने दें। मुनि श्री रविंद्र कुमार जी ने मंगल पाठ सुनाया। इस दौरान भिक्षु बोधि स्थल राजनगर उपाध्यक्ष विनय कोठारी, शिक्षाविद् चतुर कोठारी, ज्ञानशाला संयोजिका संगीता कोठारी, सह-संयोजक ऊषा कावडिया, मेवाड़ आंचलिक प्रभारी रितु धोका, ज्ञानशाला मुख्य प्रशिक्षिका सीमा मांडोत पंछी चपलोत, सीमा चपलोत संगीता सामर, हंसा मेहता, निर्मला गोपाल कोठारी, ममता चपलोत, नेकी बड़ाला, चंचल चपलोत, वंदना सहलोत उपस्थित रहे। भिक्षु बोधि स्थल राजनगर की ओर से ज्ञानशाला परिवार के आतिथ्य की व्यवस्था की गई।