वॉशिंगटन: अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने अपनी डायवर्सिटी, इक्विटी और इन्क्लूजन (DEI) प्रमुख नीला राजेन्द्र, जो भारतीय मूल की हैं, को बर्खास्त कर दिया है। यह कदम डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश के अनुपालन में उठाया गया है, जिसमें सभी सरकारी विभागों को ऐसे कार्यक्रम बंद करने और उनसे जुड़े कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने का निर्देश दिया गया है।
NASA ने उन्हें बचाने की कोशिश करते हुए उनके पद का नाम बदलकर ‘हेड ऑफ ऑफिस ऑफ टीम एक्सीलेंस एंड एम्प्लॉई सक्सेस’ कर दिया था। हालांकि, यह रणनीति भी अंततः विफल रही और उन्हें हटाना पड़ा।
NASA के जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी (JPL) की निदेशक लॉरी लेशिन द्वारा भेजे गए एक ईमेल में कर्मचारियों को नीला राजेन्द्र के जाने की जानकारी दी गई। ईमेल में लिखा गया, “नीला राजेन्द्र अब जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी में कार्यरत नहीं हैं। हम उनके द्वारा संगठन में किए गए अमूल्य योगदान के लिए अत्यंत आभारी हैं और उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।” यह ईमेल ब्रिटिश अख़बार डेली मेल के अनुसार पिछले सप्ताह भेजा गया था।
गौरतलब है कि जब पिछले साल NASA के जेट प्रपल्शन लैब में वित्तीय संकट के चलते लगभग 900 DEI कर्मचारियों की नौकरियां खत्म की गई थीं, तब भी नीला राजेन्द्र को नहीं हटाया गया था।
मार्च 2025 में ट्रंप प्रशासन के आदेश के बाद NASA ने अपनी डाइवर्सिटी डिपार्टमेंट को पूरी तरह से बंद कर दिया था, लेकिन उस समय नीला राजेन्द्र बच गईं क्योंकि उनकी पदवी बदल दी गई थी, हालांकि कार्य वही रहे। उनके लिए एक नया विभाग ही बना दिया गया था।
10 मार्च को NASA द्वारा कर्मचारियों को भेजे गए ईमेल में बताया गया था कि नीला अब ‘ऑफिस ऑफ टीम एक्सीलेंस एंड एम्प्लॉई सक्सेस’ की प्रमुख होंगी। इस भूमिका में वह लैब के “अफिनिटी ग्रुप्स”, जैसे कि “ब्लैक एक्सीलेंस स्ट्रैटेजिक टीम”, की देखरेख कर रही थीं।
नई जिम्मेदारी संभालने के बाद उन्होंने LinkedIn पर लिखा था कि इस नई भूमिका में उनका लक्ष्य है – “हमारी सामूहिक क्षमताओं को खोलना ताकि हम मिलकर महान कार्य कर सकें।”
लेकिन अप्रैल की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन द्वारा सख्ती से की गई कार्रवाई के बाद अंततः उन्हें NASA से हटा दिया गया।
नीला राजेन्द्र NASA में कई वर्षों से नेतृत्वकारी भूमिका में थीं। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने संगठन में विविधता लाने के लिए कई प्रयास किए थे। इसमें ‘स्पेस वर्कफोर्स 2030’ पहल शामिल थी, जिसका मकसद महिलाओं और अल्पसंख्यकों को भर्ती करना था।
NASA अब उन कई संघीय एजेंसियों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने अपनी डाइवर्सिटी योजनाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया है। ट्रंप के कार्यकारी आदेश में कहा गया है कि ऐसे कार्यक्रमों ने “अमेरिकियों को नस्ल, रंग और लिंग के आधार पर बांटा है, करदाताओं के पैसे की बर्बादी की है और भेदभाव को बढ़ावा दिया है।”