डेस्क:दुनिया में जल्द ही एक और बड़ा युद्ध छिड़ने के संकेत मिल रहे हैं। खबर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से बमबारी की धमकी के बाद मिसाइलें तैयार कर ली हैं। हालांकि, मिसाइल अटैक को लेकर ईरान की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। ईरान ने हाल ही में ट्रंप से बातचीत करने से भी इनकार कर दिया है।
ये घटनाक्रम ऐसे समय पर हो रहे हैं, जब अमेरिका यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों को निशाना बनाकर हवाई हमले कर रहा है। ऐसे में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाते हुए सैन्य कार्रवाई किए जाने का खतरा बना हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने कथित तौर पर अपनी अंडरग्राउंड मिसाइल सिटी में मौजूद सभी लॉन्चर्स तैयार कर लिए हैं। तेहराइन टाइम्स ने एक्स पर लिखा, ‘तेहरान टाइम्स को मिली जानकारी से संकेत मिल रहे हैं कि ईरान के सभी अंडरग्राउंड मिसाइल शहरों में मिसाइलें लॉन्चर्स में लोड हो चुकी हैं और दागे जाने के लिए तैयार हैं। अमेरिका की सरकार और उसके सहयोगियों को बहुत भारी पड़ने वाला है।’
खबर है कि ईरान के अधिकारियों की तरफ से भी कई वीडियो जारी किए गए हैं, जिनमें अंडरग्राउंड बंकर नजर आ रहे हैं। ये बंकर 900 मील रेंज वाली मिसाइल खैबर शेकां, 850 मील रेंज वाली हज कासिम, 1240 मील रेंज वाली गद्र एच, 1550 मील रेंज वाली सेज्जिल और 1050 मील रेंज वाली इमाद से लैस हैं।
ट्रंप की धमकी
रविवार को एनबीसी से बातचीत में ट्रंप ने कहा है कि अगर परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान समझौते पर नहीं पहुंचा, तो बमबारी की जाएगी। साथ ही उन्होंने सेकंडरी टैरिफ लगाने की बात भी कही है। उन्होंने कहा, ‘अगर वे समझौते नहीं करते हैं, तो बमबारी होगी। लेकिन संभावनाएं ये भी हैं कि अगर वह डील नहीं करते हैं, तो मैं उन पर सेकंडरी टैरिफ लगाऊंगा जैसे चार साल पहले लगाए थे।’
खास बात है कि पहले कार्यकाल में ट्रंप ईरान के साथ परमाणु डील से बाहर हो गए थे।
बातचीत से इनकार
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने रविवार को कहा कि इस्लामी गणतंत्र ने उसके तेजी से बढ़ रहे परमाणु कार्यक्रम को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप के पत्र के जवाब में अमेरिका के साथ सीधी बातचीत को खारिज कर दिया है। ट्रंप ने तेहरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम पर चिंता जताते हुए हाल में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई को पत्र भेजा था। पेजेशकियन ने ओमान के जरिये दी अपनी प्रतिक्रिया में अमेरिका के साथ अप्रत्यक्ष वार्ता की संभावनाएं बरकरार रखी हैं।