रांची:देवघर में त्रिकुट रोपवे दुर्घटना पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार से सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (सिंफर) की ऑडिट और बीआईटी मेसरा की ओर से रखरखाव के लिए तैयार की गयी रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सोमवार को स्वत: संज्ञान लिए मामले की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। अदालत ने एक सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हुए छह मई को अगली सुनवाई निर्धारित की।
सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से घटना का कारण पूछा। इस पर महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सरकार इस मामले की जांच कर रही है। अभी जांच जारी है। जांच पूरी होते ही अदालत को इसकी जानकारी दी जाएगी। इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने आयी थी कि त्रिकुट रोपवे पर सिंफर औैर बीआईटी मेसरा ने भी एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी थी। सरकार से दोनों संस्थाओं की रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा। अदालत ने कहा कि सरकार अपने स्तर से जांच कराने को स्वतंत्र है, लेकिन उसे इन दोनों संस्थानों की रिपोर्ट पेश करनी होगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2009 में एक तकनीकी टीम ने रोपवे प्रोजेक्ट की क्षमता (वायबिलिटी) पर सवाल उठाये थे। सदस्यों ने माना था कि रोपवे के केबल ट्रॉली में कंपन ज्यादा था। टीम में बीआईटी मेसरा के मैकेनिकल विभाग के एचओडी, पेयजल मैकेनिकल विंग के इंजीनियर के अलावा रोपवे कंपनी के लोग शामिल थे। लेकिन इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी।