वैशाख की पूर्णिमा के अगले दिन, हर वर्ष ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को देवर्षि नारद मुनि की जयंती श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नारद जी को पृथ्वी का प्रथम पत्रकार कहा जाता है। वे भगवान विष्णु के परम भक्त, त्रिलोक भ्रमण करने वाले, और देवताओं के बीच संदेशवाहक के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
पूजन के लिए आज के विशेष शुभ मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त : प्रातः 04:08 से 04:50
- अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:51 से 12:45
- विजय मुहूर्त : अपराह्न 14:33 से 15:27
- गोधूलि मुहूर्त : सायं 19:02 से 19:23
- अमृत काल : रात्रि 00:14 (14 मई) से 02:01 (14 मई) तक
नारद जयंती पूजन-विधि:
- प्रातःकाल स्नान करके मंदिर व पूजन स्थल की शुद्धि करें।
- सर्वप्रथम भगवान गणेश का स्मरण व वंदन करें।
- फिर श्रद्धा से नारद मुनि का ध्यान करें।
- उन्हें चंदन, पुष्प, फल आदि अर्पित करें।
- घी का दीपक प्रज्वलित करें।
- ‘श्री नारद चालीसा’ का पाठ करें।
- नारद जी की आरती करें।
- उन्हें भोग अर्पित करें।
- अंत में किसी भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
नारद जयंती का महत्व:
नारद जी को ब्रह्मांड के सूचना वाहक के रूप में माना जाता है। वे पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल लोक में निर्बाध रूप से भ्रमण करते हुए देवताओं के बीच संवाद स्थापित करते हैं। उन्हें देवी-देवताओं का प्राथमिक संवाद सूत्र माना गया है। इस दिन का विशेष महत्व दान में भी निहित है—विशेषतः ब्राह्मणों को भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के कष्टों का निवारण संभव होता है।
आज के दिन नारद मुनि की उपासना से बुद्धि, वाणी और विवेक की वृद्धि होती है। श्रद्धालु भक्तगण उन्हें स्मरण कर जीवन में विवेक, संवाद-कला और ईश्वर भक्ति के गुणों को आत्मसात करते हैं।