नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार उम्र निर्धारित करने का दस्तावेज नहीं है। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को रद दिया जिसमें मुआवजा देने के लिए सड़क दुर्घटना पीड़ित की उम्र निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड को स्वीकार कर लिया था।
आधार कार्ड का उपयोग पहचान के लिए
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि मृतक की उम्र स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र में उल्लिखित जन्म तिथि से निर्धारित की जानी चाहिए। आगे पीठ ने कहा, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने अपने परिपत्र संख्या 8/2023 के माध्यम से कहा है कि आधार कार्ड का उपयोग पहचान स्थापित करने के लिए किया जा सकता है, यह जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है।शीर्ष अदालत ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) के फैसले को बरकरार रखा, जिसने मृतक की उम्र की गणना उसके स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र के आधार पर की थी। शीर्ष अदालत 2015 में एक सड़क दुर्घटना में मृतक एक व्यक्ति के स्वजन द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी।
हाई कोर्ट ने मृतक की उम्र 47 वर्ष आंकी थी
मृतक के परिवार को एमएसीटी, रोहतक ने 19.35 लाख रुपये का मुआवजा दिया, जिसे हाई कोर्ट ने यह देखने के बाद घटाकर 9.22 लाख रुपये कर दिया कि एमएसीटी ने मुआवजे का निर्धारण करते समय आयु गुणक को गलत तरीके से लागू किया था। हाई कोर्ट ने मृतक के आधार कार्ड पर भरोसा करते हुए उसकी उम्र 47 वर्ष आंकी थी।
हाई कोर्ट ने आधार कार्ड के आधार पर मृतक की उम्र निर्धारित करने में गलती की
परिवार ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने आधार कार्ड के आधार पर मृतक की उम्र निर्धारित करने में गलती की है क्योंकि यदि उसके स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र के अनुसार उसकी उम्र की गणना की जाती है, तो मृत्यु के समय उसकी उम्र 45 वर्ष थी।