कोलकाता :युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेशकुमारजी ठाणा – 3 के सान्निध्य में वृहत्तर कोलकाता में भक्तामर प्रकल्प अनुष्ठान के 100 वें सप्ताह में प्रवेश करने पर वृहद् भक्तामर प्रकल्प अनुष्ठान एवं समारोह का भव्य आयोजन उत्तर हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा तेरापंथ सभागार में दिनांक 15/04/2025, मंगलवार को प्रातः 6 बजे से आयोजित किया गया। जिसमें वृहत्तर कोलकाता के विभिन्न सभा क्षेत्रों से अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
समारोह से पहले लगभग एक घंटा मुनिश्री द्वारा भक्तामर प्रकल्प अनुष्ठान करवाया गया। अनुष्ठान के पश्चात आयोजित समारोह में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा – भक्तामर स्तोत्र आचार्य मानतुंग की अनमोल कृति है। इसकी रचना सातवीं शताब्दी में हुई। यह एक चमत्कारिक भक्ति काव्य स्तोत्र है। इसमें भगवान ऋषभ की स्तुति की गई है। हजारों-हजारों जैन अनुयायी प्रतिदिन इसका पाठ करते है। यह जैनों का सर्वमान्य स्तोत्र है। यह मध्यम आकार का मंत्र गर्मित संस्कृत भाषा में निबद्ध स्तोत्र है। इसमें मंत्राक्षरों की संयोजना की गई है। इसके जाप से रोग, शोक, दुःख, पीड़ा, विध्न दूर हो जाते हैं। कार्य में उत्पन्न बाधाएं दूर होती है। उत्तरवर्ती आचार्यों ने भक्तामर स्तोत्र पर कई कल्प तैयार किये हैं। भक्तामर का पाठ एवं जाप करने से अनेक भौतिक एवं आध्यामिक लाभ होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन भक्तामर का विधिवत् पाठ करना चाहिए। जिससे मन शांत व घर का वातावरण पवित्र होता है।
वृहत्तर कोलकाता में भक्तामर प्रकल्प का अनुष्ठान नियमित रूप से चल रहे है। घर-घर आयोजित होने वाले इस अनुष्ठान का यह 100 वाँ सप्ताह चल रहा है। अनुष्ठान कराने वाले,श्रावक समूह साधुवाद के पात्र है। उत्तर हावड़ा सभा क्षेत्र द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम सभी के लिए प्रेरणास्रोत बने ।
इस अवसर पर मुनिश्री परमानंद जी ने कहा-भक्तामर पाठ से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी मंगलाचरण से हुआ । स्वागत भाषण सभा के सहमंत्री डॉ. अरिहंत सिंघी ने दिया। भक्तामर प्रकल्प अनुष्ठान ग्रुप उत्तर हावड़ा ने सुमधुर गीत का संगान किया। आभार ज्ञापन संयोजक विकास श्यामसुखा ने किया।
कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद जी ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। ज्ञातव्य है कि भक्तामर प्रकल्प अनुष्ठान रविवार को साउथ हावड़ा, सोमवार को लिलुआ, मंगलवार को उत्तर हावड़ा , बुधवार को साउथ कोलकाता, गुरुवार को साल्टलेक, शुक्रवार को पूर्वांचल व शनिवार को टांलीगंज में आयोजित होते हैं।