मुंबई: वागशीर पनडुब्बी को लॉन्च करने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में रक्षा सचिव अजय कुमार खास तौर से मौजूद थे।
प्रोजेक्ट-75 के तहत तैयार पनडुब्बी आईएनएस वागशीर को आज मुंबई में समुद्र में उतारा गया। अब इसका समुद्री परीक्षण होगा और इसके बाद इसे विधिवत नौसेना में शामिल किया जाएगा। यह बेजोड़ क्षमताओं से युक्त है, इसलिए दुश्मन के मंसूबों को चूर करने में कामयाब होगी।
मुंबई में बुधवार को वागशीर पनडुब्बी को लॉन्च करने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में रक्षा सचिव अजय कुमार खास तौर से मौजूद थे। रक्षा सचिव ने इस मौके पर कहा कि यह भारत के लगातार आत्म निर्भर बनने की एक मिसाल है। वागशीर प्रोजेक्ट -75 की स्कॉर्पीन श्रेणी की अंतिम पनडुब्बी है।
2024 तक नौसेना में शामिल होगी
इसे नौसेना में शामिल कि जाने के पूर्व कई परीक्षणों से गुजरना होगा। आईएनएस वागशीर को मार्च 2024 तक नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा सकेगा। यह समुद्री सीमा की निगरानी से लेकर हमले तक की क्षमताओं से लैस है। इसे मुंबई की मझगांव गोदी में आत्मनिर्भर भारत के तहत बनाया गया है। इस पी-75 परियोजना के तहत अब तक चार पनडुब्बियां नौसेना में शामिल की जा चुकी हैं। इनमें आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज और आईएनएस वेला शामिल हैं। आईएनएस वागीर का अभी परीक्षण चल रहा है।
जंग में इस काम को देगी अंजाम
यह दुनिया की अत्याधुनिक पनडुब्बियों में से एक है। सोनार तकनीक के जरिए यह दुश्मन को चकमा देने में सक्षम है।
वागशीर पनडुब्बी को हमलावर पनडुब्बी या हंटर-किलर कहा गया है।
यह दुश्मन सेना के युद्धपोतों को समुद्र में डुबोने के काम आएगी।
इसकी लंबाई 221 फीट और ऊंचाई 40 फीट है।
यह समुद्र में 20 समुद्री मील (37 किमी प्रति घंटे) की गति से चलेगी।
यह समुद्र में 350 फीट गहराई तक जा सकती है। 50 दिनों तक पानी में रह सकती है।