डेस्क:विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने गुरुवार को घोषणा की कि वह हिंदू मंदिरों को राज्य सरकार के नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगी। इस अभियान की शुरुआत 5 जनवरी को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में जनजागरण कार्यक्रम के साथ होगी। विहिप के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने मीडिया से बातचीत में बताया कि हिंदू मंदिरों के प्रबंधन और प्रशासन के लिए एक मसौदा कानून तैयार किया गया है। उन्होंने कहा, “यह मसौदा मैंने कुछ दिन पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को विचार के लिए सौंपा है।”
इस मसौदा कानून को एक विचार समूह ने तैयार किया है, जिसमें सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के वकील, धार्मिक नेता और विहिप कार्यकर्ता शामिल हैं। परांडे ने कहा, “हम पिछले 2-3 साल से इस पर काम कर रहे थे।” उन्होंने ब्रिटिश शासन के दौरान मंदिरों पर सरकार के नियंत्रण की शुरुआत को वित्तीय लाभ के लिए बताया और कहा, “दुर्भाग्य है कि स्वतंत्रता के बाद भी मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं।”
विजयवाड़ा में होने वाले इस अभियान के पहले कार्यक्रम में दो लाख से अधिक लोगों के भाग लेने की उम्मीद है। इसमें धार्मिक संत समुदाय को दिशा देंगे। परांडे ने इस आंदोलन को राजनीतिक लाभ से परे बताया और कर्नाटक का उदाहरण दिया, जहां मंदिरों की स्वतंत्रता का प्रस्ताव आया लेकिन चुनावी हार के कारण पूरा नहीं हो सका। मसौदा कानून में हर राज्य में धर्मिक परिषदों के गठन का प्रस्ताव है, जिसमें धार्मिक नेता, सेवानिवृत्त न्यायाधीश और हिंदू शास्त्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। ये परिषदें जिला स्तर पर चुनाव कराएंगी, जिसके बाद स्थानीय मंदिरों के लिए ट्रस्टी नियुक्त किए जाएंगे।
परांडे के अनुसार, केवल हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोग ही इन प्रशासनिक निकायों में शामिल हो सकते हैं। इसमें राजनेताओं या राजनीतिक दलों से जुड़े व्यक्तियों को कोई स्थान नहीं मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिरों से प्राप्त आय का उपयोग केवल हिंदू धर्म के प्रचार और सामुदायिक सेवा के लिए होगा, न कि सरकारी परियोजनाओं के लिए। उन्होंने कहा, “यह अभियान हिंदू समाज को सशक्त बनाने और मंदिरों की पवित्रता और उचित प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए है।” विजयवाड़ा से शुरू होने वाला यह आंदोलन देशभर में एक नई चर्चा का आधार बन सकता है।