नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) में वकीलों के लिए शुरू की गई 50 करोड़ रुपये की सामूहिक स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर आंतरिक मतभेद उभर आए हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता और एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष कपिल सिब्बल द्वारा इस योजना की पहल की गई थी, जिसे देश के प्रमुख उद्योगपतियों के सहयोग से क्रियान्वित किया गया है। लेकिन अब एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने इस योजना पर पुनर्विचार या इसे रद्द करने की बात कही है।
क्या है योजना?
कपिल सिब्बल ने वकीलों की चिकित्सा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नेशनल इंश्योरेंस कंपनी और Apollo समूह की सहायता से सामूहिक बीमा योजना तैयार की है। इस योजना के तहत सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के लगभग 2,700 से 2,800 सदस्यों को दो लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर मिलेगा।
सिब्बल ने उद्योगपतियों से व्यक्तिगत संपर्क स्थापित कर यह फंड जुटाया। उनके अनुसार, यह बीमा योजना केवल एक कल्याणकारी पहल नहीं बल्कि वकीलों की सुरक्षा के लिए एक ठोस कदम है।
किन उद्योगपतियों ने दिया योगदान?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना के लिए देश के कई शीर्ष उद्योगपतियों ने उदारतापूर्वक सहयोग किया।
- मुकेश अंबानी (रिलायंस): ₹10 करोड़
- गौतम अडानी, अनिल अंबानी, कुमार मंगलम बिड़ला, लक्ष्मी मित्तल, एन. चंद्रशेखरन (टाटा), समीर मेहता (टोरेंट), जी.एम. राव (GMR), अनिल अग्रवाल (वेदांता): ₹5 करोड़ प्रत्येक
कपिल सिब्बल ने बताया कि उन्होंने उद्योगपतियों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर यह सहायता मांगी। गौतम अडानी के संदर्भ में उन्होंने कहा, “मैंने उनसे कहा, आप अब देश के सम्राट हैं। 5 करोड़ बहुत कम है। इस पर उन्होंने कहा कि अगर और चाहिए तो बताइए, लेकिन अभी 5 करोड़ ले लीजिए।”
विकास सिंह ने क्यों उठाए सवाल?
SCBA के वर्तमान अध्यक्ष विकास सिंह ने इस योजना पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “मेरे अनुसार इस योजना पर फिर से विचार होना चाहिए या इसे समाप्त कर देना चाहिए। दो लाख रुपये के बीमा कवर के लिए जो प्रीमियम दिया जा रहा है, वह पांच लाख के बीमा की तुलना में अधिक है।”
विकास सिंह का यह भी कहना है कि इस योजना का लाभ केवल आर्थिक रूप से जरूरतमंद वकीलों को मिलना चाहिए, न कि सभी सदस्यों को। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर यह फंड कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत नहीं, बल्कि सीधे बार एसोसिएशन को मिला है, तो इसका कानूनी रूप से कोई टकराव नहीं है।
कपिल सिब्बल की सफाई
कपिल सिब्बल ने कहा, “यह फंड किसी एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि एसोसिएशन को दिया गया है। मैं इन कंपनियों के खिलाफ भी अदालत में पेश होता रहा हूं और आगे भी पेश होता रहूंगा। यह पेशेवर दायित्व है, न कि किसी दोस्ती का मामला।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पहल वकीलों के कल्याण को केंद्र में रखकर की गई है और इसमें पारदर्शिता बरती गई है।
CJI ने की तारीफ़
इस योजना को 21 मई को SCBA के एक कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की जगह बोलते हुए जस्टिस बी. आर. गवई ने सराहा। उन्होंने कहा, “यह एक अनुकरणीय पहल है, जो वकीलों के कल्याण के प्रति गंभीर चिंता को दर्शाती है। यह न केवल एक सामाजिक दायित्व है, बल्कि वकीलों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच भी है।”
निष्कर्ष:जहां एक ओर कपिल सिब्बल की इस पहल को न्यायपालिका और वकील समुदाय के एक वर्ग का समर्थन मिल रहा है, वहीं एसोसिएशन के नए नेतृत्व ने इसके आर्थिक और नैतिक पहलुओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन इस योजना पर किस दिशा में आगे बढ़ता है – सुधार के साथ या पूर्ण पुनर्विचार के साथ।