डेस्क:ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र सरकार से वक्फ संशोधन बिल वापस लेने की मांग की है और कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं और बिल संसद से पारित किया गया तो देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने मंगलवार को कहा कि AIMPLB ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ 17 मार्च को जंतर-मंतर पर धरने का आयोजन किया है, जिसमें विभिन्न मुस्लिम संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ ही विपक्ष के कई सांसदों को आमंत्रित किया गया है।
बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने संवाददाताओं को बताया कि इस धरने में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) और जनता दल (यू) जैसे भाजपा के सहयोगी दलों को न्योता नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति में उसकी सहयोगी पार्टियां भी साथ दे रही हैं।’’
उनके मुताबिक, संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को करीब पांच करोड़ मुसलमानों ने ई-मेल के माध्यम से अपनी राय बताई, लेकिन सबकुछ नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने इस बात को दोहराया कि यह विधेयक पारित हुआ, तो राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बिल मुसलमानों पर “सीधा हमला” है। प्रवक्ता ने कहा कि यह विधेयक भेदभावपूर्ण है क्योंकि इसमें वक्फ बोर्डों और परिषदों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को रखने की बात कही गई है, जबकि हिंदुओं और सिखों की बंदोबस्ती के प्रबंधन में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
AIMPLB के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी और इलियास ने एक बयान में कहा कि पांच करोड़ मुसलमानों द्वारा विधेयक के खिलाफ संयुक्त समिति को ईमेल भेजने और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, प्रमुख राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मुस्लिम संगठनों और प्रमुख व्यक्तियों द्वारा व्यापक प्रतिनिधित्व के बावजूद, सरकार ने न केवल अपने रुख पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया है, बल्कि विधेयक को और भी “कठोर और विवादास्पद” बना दिया है।
बता दें कि पर्सनल लॉ बोर्ड पहले 13 मार्च को धरना देने वाला था, लेकिन उस दिन संसद के संभावित अवकाश के चलते कई सांसदों ने अपनी उपस्थिति को लेकर असर्मथता जताई, जिसके बाद उसने कार्यक्रम में बदलाव किया। इलियास ने कहा कि बोर्ड के प्रतिनिधियों ने जनवरी और फरवरी में तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जद(यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार से मुलाकात कर उनसे सहयोग मांगा था, लेकिन ये दोनों दल फिलहाल इस विषय पर सरकार के साथ नजर आ रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार मौजूदा सत्र (बजट सत्र का दूसरा चरण) में यह विधेयक संसद में पेश कर सकती है।