डेस्क:लोकसभा में पास होने के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को आज राज्यसभा में पेश किया गया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बिल को सदन के पटल पर रखा। बता दें कि करीब 12 घंटे लंबी बहस और तीखी नोकझोंक के बाद, वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को बुधवार देर रात लोकसभा में पारित कर दिया गया। इस विधेयक के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 232 सांसदों ने मतदान किया। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन को बेहतर करने के उद्देश्य से लाया गया था, जिसे लेकर सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी दलों के बीच गहरा मतभेद देखने को मिला। अब सभी की नजरें राज्यसभा पर टिकी हैं।
अभिषेक मनु सिंघवी को आखिर में सभापति जगदीप धनखड़ ने सलाह दी। कहा, “आपके पिताजी बहुत विनम्र थे। उन्होंने कभी आखिर में जी लगाना नहीं भूले। सभापति पद पर बैठे किसी व्यक्ति के लिए सभापति कहना या सभापति जी कह देने में फर्क है।” हालांकि जवाब में सिंघवी ने कहा कि आपने शायद सुना नहीं, मैंने अपनी बात खत्म करते हुए आपको जी कहा था।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पहले के कानून में वक्फ बोर्ड के सीईओ का मुसलमान होना अनिवार्य था और नियुक्ति के लिए बोर्ड के सुझाए दो नामों में से किसी एक को चुना जाता था। लेकिन नए प्रावधानों में यह बाध्यता खत्म कर दी गई है। उन्होंने यह भी तंज कसा कि बिल तैयार करने वाले या तो बहुत भोले हैं या फिर बेहद चालाक।
सिंघवी ने आगे बताया कि बिल में लिमिटेशन एक्ट लागू करने का फैसला किया गया है, जिसका मतलब यह होगा कि अगर किसी ने 12 साल तक वक्फ की संपत्ति पर कब्जा बनाए रखा, तो वह खुद को स्थायी मालिक घोषित कर सकता है। उन्होंने इसे वक्फ संपत्तियों को हड़पने का कानूनी रास्ता बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिति ऐसी हो गई है कि जहां कभी सजदे किए जाते थे, वहां अब दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। अगर इस बिल पर पुनर्विचार नहीं हुआ, तो इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले वर्षों में इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया जाएगा।
सिंघवी ने बिल में दिए प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसमें लिखा गया है कि 11 सदस्यों में से कम से कम तीन मुसलमान होने चाहिए। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि बाकी आठ गैर-मुस्लिम भी हो सकते हैं। इसी तरह, वक्फ काउंसिल में 22 सदस्यों में से कम से कम 12 मुसलमान होने चाहिए—यह भी एक शर्त मात्र है। उन्होंने इस पर सवाल उठाया कि वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोई गुंजाइश ही नहीं रखी गई है।
राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह बिल एक कानून नहीं, बल्कि कानूनी भाषा में सत्ता की मनमानी का प्रतीक है। उन्होंने रतिलाल केस और तिलकायत गोविंद जी महाराज केस का उदाहरण देते हुए बताया कि बिल के क्लॉज 11 के तहत राज्य सरकार को वक्फ बोर्ड में सौ फीसदी नामांकित सदस्य रखने का अधिकार दिया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इससे स्वायत्तता बची रहेगी? क्या धार्मिक समुदायों के पास अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार रहेगा?
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए नड्डा ने कहा कि ये वो लोग हैं जिन्हें जनता ने दिल्ली और हरियाणा समेत कई राज्यों में सबक सिखाया। एक उदाहरण देते हुए नड्डा ने कहा कि जैसे क्रिकेट में कुछ पहलवान टाइप के लोग होते हैं जो आउट होने पर भी नहीं मानते। कहते हैं कि मैं न मानूं, चाहे आउट ही क्यों न हो जाएं। ये भी वैसे ही हैं। कांग्रेस को नसीहत देते हुए नड्डा ने कहा कि हम विपक्ष को वक्फ बिल पर सरकार से साथ आने का निमंत्रण देते हैं।
नड्डा ने तुर्की, मलेशिया का उदाहरण लेते हुए कहा कि उन मुस्लिम देशों में वक्फ प्रॉपर्टी को डिजिटल रूप में देखा जा रहा है। सऊदी अरब में भी ऐसा ही किया जा रहा है। वहां की सरकार वक्फ संपत्तियों का इस्तेमाल शिक्षा और जरूरी चीजों पर काम कर रहे हैं। इन मुस्लिम देशों में सरकार वक्फ प्रॉपर्टी को अपने कब्जे में लेकर काम कर रही है, तब कोई तकलीफ नहीं हो रही, यहां तो हम कब्जा भी नहीं कर रहे। यहां तो वक्फ को काउंसिल और बोर्ड ही चलाएगा। यहां तो हम सिर्फ उनको नियम के अनुसार लाने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि वे सही ढंग से काम कर सकें। उन्होंने नए-नए प्रयोग करने शुरू किए हैं, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों के काम आ सके। जब मुस्लिम देश ऐसा कर रहे हैं तो भारत में क्या दिक्कत है
जेपी नड्डा ने कहा कि मुस्लिम देश मिस्र, सूडान और बांग्लादेश में तीन तलाक खत्म हुआ। इराक में और मलेशिया में समाप्त हो गया। ये भारत देश था, जहां मुस्लिम महिलाओं को पीछे धकेला जा रहा है। महिलाओं के हक के लिए नरेंद्र मोदी आगे आए औऱ कानून को समाप्त किया।
राज्यसभा में चर्चा के दौरान जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि 70 साल से इस पार्टी ने मुस्लिमों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाया। मुस्लिमों को मुख्य धारा में पीएम मोदी लेकर आए। वक्फ बिल पर विपक्ष लगातार भ्रम फैला रहा है। वक्फ की संपत्ति का सही रख-रखाव जरूरी है।
बीजेडी सांसद मुजीबुल्ला खान ने वक्फ बिल के नियमों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि उन्हें सबसे ज्यादा शिकायत उस नियम से है, जिसमें मुसलमान को यह साबित करना जरूरी है कि वह मुस्लिम है। यह वह कैसे करेगा? मैं बिना दाढ़ी का मुसलमान हूं, लेकिन रोजे लेता हूं और पांच वक्त की नमाज पढ़ता हूं। सरकार इस नियम से क्या साबित करना चाहती है?
राज्यसभा में आप सांसद संजय सिंह ने वक्फ (संशोधन) विधेयक का विरोध किया और कहा कि यह कानून एक विशेष समुदाय को निशाना बनाता है। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि भाजपा इस तरह के कानूनों के जरिए आने वाले समय में एक-एक करके सभी अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाएगी