नई दिल्ली:ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी यूबीएस (UBS) ने भारत के 2022-23 के इकनॉमिक ग्रोथ फोरकॉस्ट (आथिक वृद्धि के अनुमान) को घटा दिया है। UBS ने भारत के जीडीपी ग्रोथ एस्टिमेट को 70 बेसिस प्वाइंट (0.7 फीसदी) घटाकर 7 फीसदी कर दिया है। यूबीएस ने ऊंचे कमोडिटी प्राइसेज के कारण सुस्त पड़ती ग्लोबल ग्रोथ, एनर्जी प्राइस हाइक के कारण कमजोर लोकल डिमांड, महंगाई के बढ़ते दबाव और चुनौती झेल रहे लेबर मार्केट का हवाल दिया है।
यूबीएस के फोरकास्ट घटाने से एक हफ्ते पहले ही वर्ल्ड बैंक ने भी भारत और पूरे दक्षिण एशिया के इकनॉमिक ग्रोथ फोरकास्ट को घटाया था। वर्ल्ड बैंक ने कमजोर सप्लाई, बढ़ती महंगाई से जुड़े जोखिम के साथ यूक्रेन क्राइसिस का हवाला दिया था। यूबीएस की इकनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता ने एक नोट में कहा है, ‘हमारा मानना है कि हाई ग्लोबल कमोडिटी प्राइसेज, रियल इकनॉमी में लोगों के परचेजिंग पावर और कंपनियों के मार्जिन पर असर डालेगा।’
भारत अपनी ऑयल जरूरतों का करीब 80 फीसदी हिस्सा आयात के जरिए पूरा करता है। क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों ने देश के ट्रेड और करेंट अकाउंट डेफिसिट को बढ़ा दिया है। साथ ही, इससे रुपये को झटका लग रहा है और इंपोर्टेड इनफ्लेशन जोर पकड़ रही है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस महीने की शुरुआत में करेंट फाइनेंशियल ईयर के लिए अपने इनफ्लेशन फोरकॉस्ट (महंगाई से जुड़े अनुमान) को बढ़ाकर 5.7 फीसदी कर दिया है, जो कि फरवरी के फोरकॉस्ट से 120 बेसिस प्वाइंट ऊपर है। साथ ही, अपने इकनॉमिक ग्रोथ एस्टिमेट को 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है।