बच्चे के गलती करने पर माता-पिता तुरंत उसे सॉरी कहने के लिए कह देते हैं। ऐसा कहकर वो अपने बच्चे को उसकी गलती का अहसास करवाना चाहते हैं, ताकि वो भविष्य में ऐसी गलती दोबारा न करें। लेकिन क्या पेरेंट्स खुद कोई गलती करने पर ऐसा ही व्यवहार बच्चों के साथ भी करते हैं? आइए जानते हैं आखिर क्यों बच्चों को सॉरी कहने में कई माता-पिता हिचक महसूस करते हैं और क्या है बच्चों से सॉरी कहने का सही तरीका।
सॉरी कहने से क्यों हिचकिचाते हैं पेरेंट्स?
कई माता-पिता मानते हैं कि अगर वो अपने बच्चों से सॉरी कह देंगे तो उनके बच्चों के सामने उनकी इज्जत कम हो जाएगी और वो आगे से उनकी बातों को सीरियसली नहीं लेंगे। हालांकि साइंस का इस विषय में अलग ही कहना है। साइंस मानता है कि बच्चों के सामने अपनी गलती को स्वीकार करके उसके लिए माफी मांगने पर आप अपने बच्चों की नजरों में इज्जत कमाते हैं।
गलती करने पर जब नहीं कहते सॉरी-
आपने शायद ही कभी इस तरह का सवाल खुद से पूछा होगा कि अगर आप गलती करने पर भी अपने बच्चे को सॉरी नहीं कहते हैं तो उसका वो क्या मतलब निकालता है। आपको बता दें, आप भले ही अपनी गलती के लिए बच्चे के सामने सॉरी न कहें लेकिन वो जानता है कि गलती किससे हुई है। इसके विपरीत गलती करने पर माफी न मांगने पर उसे यह संदेश मिल रहा होता है कि सॉरी कहने का मतलब यह है कि आपने कुछ बुरा कर दिया है,सॉरी कहकर हम बेवजह छोटी बातों को बड़ा बना लेते हैं,जब आप माफी मांगते हैं तो अपने स्टेटस के साथ समझौता करते हैं।
माफी मांगकर बच्चों को दें ये संदेश-
कोई भी गलती करने पर माफी मांगने से बच्चा इन बातों को आसानी से समझ जाता है कि-
-छोटे हों या बड़े, गलती किसी से भी हो सकती है। हमें गलती करके उसे छिपाने की जगह उसे स्वीकारते हुए सुधारने पर ध्यान देना चाहिए।
-अगर गलती से कभी किसी की भावना को ठेस पहुंच जाए तो सामने वाले से माफी मांगकर रिश्ता अच्छा बनाया जा सकता है।
-माफी मांगकर हम छोटे नहीं बल्कि सामनेवाले की नजरों में और बड़े हो जाते हैं।
-माफी मांगने से दो लोगों के बीच का आपसी विश्वास और प्यार बढ़ता है।
कब और कैसे बोलें बच्चों को सॉरी?
-आपके सॉरी कहने के अंदाज से यह पता लगना चाहिए कि आपको अपनी किसी बात या काम का वाकई कोई दुख है। हमेशा अपनी गलती की ज़िम्मेदारी लेते हुए सॉरी कहें।
-बच्चे को सॉरी बोलते समय उसकी वजह भी जरूर बताएं।
-अगर आपके किसी बर्ताव से बच्चा शॉक्ड या दुखी है तो उसे बताएं कि आप उसकी फीलिंग को समझते हैं।
-सॉरी कहकर तुरंत हंसी मजाक न करने लगे। आपके ऐसा करने से बच्चा सॉरी को एक सिर्फ रस्म अदायगी ही समझेगा। भविष्य में उसके लिए यह केवल बातों को इग्नोर करने का तरीका बन सकता है।