कोलकाता : पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में भले ही कांग्रेस अच्छी खबर को तरस गई हो, लेकिन उपचुनाव में पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा। पश्चिम बंगाल की सागरदिघी सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने तृणमूल कांग्रेस को गढ़ में जाकर मात दे दी। इसके साथ ही राज्य में एकमात्र विधायक के साथ पार्टी की पश्चिम बंगाल विधानसभा में वापसी हो गई है।
कांग्रेस ने सागरदिघी उपचुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दूर के रिश्तेदार देवाशीष बनर्जी को हरा दिया। वाम मोर्चा के समर्थन से पार्टी ने करीब 23 हजार मतों से टीएमसी को उसी के गढ़ में मात दे दी है। भारतीय जनता पार्टी ने दिलीप साहा को मैदान में उतारा था। साल 2022 में टीएमसी विधायक सुब्रत साहा के निधन के बाद सीट पर उपचुनाव हुए थे।
TMC की ऐसे बढ़ी चिंता
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा गया कि टीएमसी के सूत्रों ने माना है कि वह अल्पसंख्यक मतों के कांग्रेस-वाम गठबंधन के पास जाने को लेकर चिंतित थे, क्योंकि सागरदिघी की 63 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। साथ ही यहां 10 फीसदी वोट आदिवासियों के हैं। अल्पसंख्यक मतों के अलावा टीएमसी के महिला मतदाताओं के दूर जाने की भी चिंता सता सकती है।
अब खास बात है कि साल 2021 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीतने वाले टीएमसी के साहा ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए थे। इतना ही नहीं उनकी जीत का अंतर भी 50 हजार वोट से ज्यादा रहा था। अब गुरुवार के आंकड़े बताते हैं कि यह घटकर 39 प्रतिशत पर आ गया है। टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, ‘साल 2021 में लगभग 90 फीसदी अल्पसंख्यक वोट हमारे पास आए थे। हमें वोट घटने की उम्मीद थी लेकिन हमने नहीं सोचा था कि हार जाएंगे…। हमें शुरुआत से सोचना होगा।’
उन्होंने कहा, ‘हमें पता है कि स्कूल जॉब का घोटाला और पंचायत स्तर के घोटालों ने मतदाताओं पर असर डाला है।’ इसके अलावा पार्टी प्रमुख बनर्जी भी हार का ठीकरा भाजपा पर फोड़ रही हैं। उन्होंने भाजपा पर अपने वोट कांग्रेस को स्थानांतरित करने के आरोप लगाए। साथ ही कहा, ‘एक अनैतिक गठबंधन था…। अच्छा है कि यह इस चुनाव के बाद खुलकर सामने आ गया।’