श्रीनगर: कश्मीर में आतंकवाद के सफाए के लिए अब बहादुर बेटियां भी प्रहार करती नजर आएंगी। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की महिला बटालियन आतंकरोधी अभियानों में मार्च के दौरान शामिल होंगी। हालांकि, मौजूदा समय में प्रदेश में तैनात महिलाकर्मी महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों में महिला आगुंतकों की जांच पड़ताल तक सीमित हैं। कुछ समय के लिए इन्हें कानून व्यवस्था की स्थिति में महिला प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए तैनात किया जा चुका है।
सीआरपीएफ से पूर्व असम राइफल्स की महिला बटालियन की एक कंपनी घाटी में आतंकरोधी अभियानों और एलओसी के साथ सटे कुछ इलाकों में नाका ड्यूटी में मुस्तैद हैं। असिस्टेंट कमांडेंट, कमांडेंट, डीआईजी और आईजी रैंक की सीआरपीएफ और बीएसएफ की महिला अधिकारी पहले भी कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में भाग ले चुकी हैं, लेकिन कांस्टेबल से इंस्पेक्टर रैंक की महिला सीआरपीएफ या महिला बीएसएफ कर्मी व अधिकारी कभी भी किसी आतंकरोधी अभियान में शामिल नहीं की हैं।
वर्ष 2018 में महिला सीआरपीएफ कर्मियों और सीआरपीएफ के महिला कमांडो दस्ते ने कई जगह पत्थरबाजों से निपटने में अहम भूमिका निभाई है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीएफ की महिला बटालियन को आतंकरोधी अभियानों में शामिल करने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय अपनी सहमति की मुहर लगा चुका है। इस समय इसका प्रशिक्षण जारी है।
आतंकरोधी अभियानों के लिए वादी में तैनात की जाने वाली महिला सीआरपीएफ कर्मियों को छह से आठ सप्ताह का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सीआरपीएफ की महिला बटालियन को घाटी में आतंकरोधी अभियानों में शामिल करने का फैसला लगभग छह माह पहले लिया था। उसके बाद प्रयोग के तौर पर वादी के कुछेक हिस्सों में महिला सीआरपीएफ कर्मियों की कुछ टुकडि़यों को आतंकियों के खिलाफ अभियान में शामिल किया। इन टुकडि़यों ने घेराबंदी करने से लेकर आतंकियों के संभावित ठिकाने की तलाशी लेने में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने एक्शन में भी भाग लिया।
इस प्रयोग के परिणामों के आकलन के बाद आतंकरोधी अभियानों में महिला सीआरपीएफ कर्मियों को शामिल करने का औपचारिक फैसला लिया है। आतंकरोधी अभियानों के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं को कश्मीर की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों से भी अवगत कराया जा रहा है। महिला सीआरपीएफ कर्मियों को भर्ती बाद दिए जाने वाले प्रशिक्षण में हथियार चलाना, मार्शल आर्ट, तलाशी लेना, घेराबंदी करना, भीड़ नियंत्रण, कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटना इत्यादि शामिल रहता है। इसके अलावा महिला सीआरपीएफ कर्मियों को कमांडो की ट्रेनिंग भी दी जाती है। यह किसी भी तरह से पुरुष कमांडो दस्ते की ट्रेनिंग से कम नहीं होती। कई नक्सल प्रभावित इलाकों में महिला सीआरपीएफ कर्मी आपरेशनल ड्यूटी में अपने पुरुष साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर डटी है। उन्हें विभिन्न विस्फोटकों का पता लगाने से लेकर उन्हें नष्ट करने का भी प्रशिक्षण आवश्यकतानुसार प्रदान किया जाता है।
श्रीनगर सेक्टर सीआरपीएफ महानिरीक्षक चारु सिन्हा ने भी महिला सीआरपीएफ कर्मियों को आतंकरोधी अभियानों में शामिल किए जाने की पुष्टि की है। शुरू में कुछेक जगहों पर इन्हें तैनात किया जाएगा। बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। आतंकरोधी अभियानों में घेराबंदी व तलाशी में महिला सीआरपीएफ कर्मियों की मौजूदगी में स्थानीय महिलाएं खुद को ज्यादा सहज महसूस कर सकेंगी। जब किसी घर में तलाशी ली जानी होगी तो वहां महिला सीआरपीएफ कर्मी ही महिलाओं से पूछताछ करेंगी और जरूरत पड़ने पर आतंकियों से भी लड़ेंगी।