अगर ऑफिस से निकलने के बाद भी आपके दिमाग में ऑफिस के काम की टेंशन रहती है तो अपनी इस आदत को तुरंत बदल डालिए। लंबे समय तक ऐसा करने की आदत आपकी सफलता के आगे रुकावट पैदा कर सकती है। जी हां, हाल ही में हुआ एक शोध ऐसा ही एक चौंकाने वाला खुलासा करता है। दरअसल, अक्सर लोग ऑफिस से आने के बाद भी रातभर ठीक से सो नहीं पाते हैं। उनके दिमाग में यह चलता रहता है कि जो रिपोर्ट बनाई थी वह सही थी या किसी ईमेल का जवाब देना तो नहीं भूल गए। ऐसा करना आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। यह आपकी नेतृत्व क्षमता को कमजोर कर रहा है। अमेरिका में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में बताया गया है कि काम खत्म होने के बाद थोड़ी देर उसके बारे में सोचना अच्छा है, लेकिन हमेशा उसके बारे में ही सोचना नुकसानदेह हो सकता है। खासतौर पर नए प्रबंधन करने वाले लोगों के लिए यह ज्यादा जोखिम भरा है। अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि प्रबंधकों को आफिस और घर के काम के बीच सीमाएं बनानी चाहिए।
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले 73 प्रबंधकों को शामिल किया। दो हफ्ते तक उनके काम के तौर तरीकों पर नजर रखी गई। इस दौरान यह देखा गया कि वे आफिस के बाद काम से जुड़े विचारों से खुद को अलग रखने में कितने सक्षम रहे।
विचारों में कमी देखी गई-
शोधकर्ताओं के मुताबिक जो प्रबंधक ऑफिस टाइम के बाद काम के बारे में सोचना बंद कर देते हैं, उन्हें अगले दिन थकान की आशंका कम होती है। इसका फायदा यह भी है कि वे अगले दिन अपनी भूमिका सकारात्मकता से निभा सकते हैं। वहीं, रातभर काम के बारे में सोचने वाले प्रबंधक अगले दिन थका या लक्ष्यहीन महसूस करते हैं। इसे विचारों को कमी के तौर पर देखा गया।
हमेशा उपलब्ध रहने की प्रवृत्ति गलत-
अध्ययन की लेखिका प्रोफेसर रेमी जेनिंग्स कहती हैं प्रबंधकों में हमेशा उपलब्ध रहने की प्रवृत्ति होती है। लेकिन हमारा अध्ययन बताता है कि खुद को काम के बोझ से अलग करने के लिए समय निकालना जरूरी है। ऐसा न करने वाले प्रबंधकों के जवाबों की गुणवत्ता में पांच फीसदी बदलाव आता है। यह आपके प्रदर्शन को प्रभावित करता है। यह आंकड़ा हमें मामूली लग सकता है,लेकिन यह आंकड़ा उनकी ऊर्जा को प्रभावित करता है।
उत्साह की कमी देखी गई-
अध्ययन में प्रबंधकों को रिपोर्ट करने वाले लोगों को भी शामिल किया गया। दो सप्ताह उनसे पूछा गया कि उनके प्रबंधकों ने लक्ष्यों और वैचारिकी को प्रभावी ढंग से उन तक पहुंचाया। इसके अलावा उत्साह के साथ उनकी बात सुनी गई। इस दौरान प्रतिदिन उनके जवाबों में 4 फीसदी की कमी या बढ़त देखी गई। इससे साफ है कि प्रबंधक के काम-काज प्रभावित होने का असर इन पर भी हुआ।
काम के बाद का वक्त पसंदीदी चीजों के लिए-
अध्ययन में शामिल एग्जीक्यूटिव कोच रेबेका जुकर कहती हैं, काम के बाद वक्त आपकी पसंदीदा चीजों के लिए है। प्रबंधकों को काम व घर के बीच सीमाएं बनानी चाहिए। सफलता के लिए यह अनिवार्य है। ऐसा न करना आपके प्रदर्शन पर भी असर डालता है और धीरे-धीरे इंसान अवसाद की ओर बढ़ने लगता है।