• Latest
  • Trending
  • All
  • बिजनेस
ये कायर हमारे ‘हीरो’ हैं? शर्म आती है!

ये कायर हमारे ‘हीरो’ हैं? शर्म आती है!

May 18, 2025
कर्नाटक बजट 2024: अल्पसंख्यकों के लिए योजनाएं, 20 लाख नौकरियों का वादा

सिद्धरमैया: स्टेडियम भगदड़ के लिए सरकार नहीं जिम्मेदार, शिफ्ट करने पर विचार

June 9, 2025
मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने एसीबी की पूछताछ में अनुपस्थिति का किया संकेत

June 9, 2025
गर्मी

उत्तर भारत में प्रचंड गर्मी का कहर, 12 जून के बाद मिलेगी राहत की उम्मीद

June 9, 2025
गुवाहाटी के हॉस्टल में मृत मिला IIT का छात्र, इस साल ऐसी मौत की यह चौथी घटना

मुंबई लोकल ट्रेन हादसा: भीड़ से गिरकर 5 की मौत

June 9, 2025
बलात्कार

पश्चिम बंगाल में दरिंदगी: 6 महीने बंधक, बेरहमी की हदें पार

June 9, 2025
हत्या

राजा मर्डर केस: सोनम गिरफ्तार, साज़िश बेनकाब

June 9, 2025
थरूर

थरूर के नेतृत्व में अमेरिका को दिखाई भारत की कूटनीतिक दृढ़ता

June 9, 2025
लॉस एंजेलिस में संघीय आव्रजन छापेमारी के बाद प्रदर्शन और पुलिस संघर्ष

प्रवासी दंगे पर ट्रंप सख्त, नेशनल गार्ड तैनात

June 9, 2025
इज़राइल ने गाज़ा के अस्पताल सुरंग में हमास प्रमुख मोहम्मद सिनवार का शव बरामद किया

इज़राइल ने गाज़ा के अस्पताल सुरंग में हमास प्रमुख मोहम्मद सिनवार का शव बरामद किया

June 9, 2025
भारतीय वायु सेना को मिलेंगे हाई-टेक जासूसी विमान

भारतीय वायु सेना को मिलेंगे हाई-टेक जासूसी विमान

June 9, 2025
तेजस्वी

पटना में विपक्ष की सियासी बैठकी, तेजस्वी संभालेंगे कमान

June 9, 2025
लालू प्रसाद यादव

लालू का हमला: बिहार में बेलगाम अपराध, अफसरशाही हावी

June 9, 2025
  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact
Monday, June 9, 2025
  • Login
ON THE DOT
  • मुख्य समाचार
  • देश
    • राज्य-शहर
  • विदेश
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • जीवंत
  • ENGLISH
No Result
View All Result
ON THE DOT
  • मुख्य समाचार
  • देश
    • राज्य-शहर
  • विदेश
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • जीवंत
  • ENGLISH
No Result
View All Result
ON THE DOT
No Result
View All Result
Home ओपिनियन

ये कायर हमारे ‘हीरो’ हैं? शर्म आती है!

लिली कर्मकार।।

ON THE DOT TEAM by ON THE DOT TEAM
May 18, 2025
in ओपिनियन
Reading Time: 1 min read
A A
0
ये कायर हमारे ‘हीरो’ हैं? शर्म आती है!

मुझे फ़िल्में देखने का बेहद शौक था। हर नई रिलीज़ का इंतज़ार करती थी। आज जब समय भी है, OTT जैसे हज़ार विकल्प भी हैं, फिर भी कोई फ़िल्म देखना मन को नहीं भाता। प्लेटफ़ॉर्म खोलती हूँ, टाइटल्स स्क्रॉल करती हूँ और फिर बिना कुछ देखे ही वापस आ जाती हूँ।

क्यों? क्योंकि मुझे आज की फ़िल्में झूठ लगती हैं। उनमें दिखने वाले चेहरे झूठ लगते हैं। जिन अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को हम ‘हीरो’ मान बैठे हैं, असल में वे रीढ़विहीन, मौक़ापरस्त और कायर लोग हैं।

‘मिशन सिन्दूर’ जैसे राष्ट्र के स्वाभिमान से जुड़े अहम सैन्य अभियान पर जब देश को एकजुटता की ज़रूरत थी, जब हमारे सैनिक सरहद पार जान हथेली पर रखकर देश का झंडा लहरा रहे थे — उस समय ये बॉलीवुड के चमकते चेहरे मुँह में दही जमा कर बैठे रहे। एक ट्वीट तक नहीं कर सके। एक शब्द समर्थन का नहीं बोले।

लेकिन आप देखिएगा, कुछ समय बाद जब इस पर फ़िल्म बनेगी, यही लोग उस कहानी के नायक बनकर बड़े पर्दे पर छा जाएंगे। वही लोग जो संकट के समय देश के साथ खड़े नहीं हो सके, वे देशभक्ति की एक्टिंग करेंगे।

क्या यही हमारे ‘हीरो’ हैं?

नकली देशभक्ति, इंस्टाग्राम स्टोरीज़, रेड कारपेट पर झंडा थामे फोटो — इन सबका कोई मतलब नहीं रह जाता जब सच्चे समय पर ये लोग चुप रहते हैं। ये वो लोग हैं जो देश के नाम पर पैसा और शोहरत तो कमाना जानते हैं, लेकिन संकट के समय एक शब्द भी नहीं बोल सकते।

हमें ये स्वीकार करने की ज़रूरत है कि ये ‘स्टार्स’ सिर्फ़ पर्दे के नायक हैं, असल ज़िंदगी में कायर हैं।

और अफ़सोस की बात ये है कि इनकी चुप्पी से ज़्यादा शर्मनाक बात है — हम जनता का इनका अंधा अनुसरण। हम ही हैं जो इन्हें ‘गॉड’ बना देते हैं, इनके नकली आँसुओं और रटाए गए संवादों पर तालियाँ बजाते हैं। पर कभी सोचा है — जब देश की असली लड़ाई हो, तब ये सब कहाँ होते हैं?

मैंने देखा कि सिर्फ़ कलाकार ही नहीं, मेरे कुछ बुद्धिजीवी मित्र भी इस घोर संकट के समय मौन साधे बैठे थे। कोई ये कहता रहा कि “हम न्यूट्रल हैं”, कोई “अंधभक्ति नहीं करते” का झंडा लेकर बैठा रहा। क्या न्यूट्रल होना भी एक विकल्प है जब देश की अस्मिता दांव पर लगी हो?

ये लोग न इधर के हैं न उधर के। न इनकी रीढ़ है, न दृष्टि। ये बस अपनी सुविधा देखते हैं।

मित्रता बनी रहेगी, पर अब उनके लिए सम्मान नहीं बचा। और न ही उन कलाकारों के लिए जो आज चुप हैं लेकिन कल ‘हीरो’ बनकर पुरस्कार बटोरेंगे।

हमें तय करना होगा — क्या हम अब भी इन छद्म नायकों को अपना आदर्श मानते रहेंगे? या अब समय आ गया है कि इनका पर्दाफ़ाश करें और सच्चे नायकों को सम्मान दें — वे जो सरहद पर, वर्दी में, ख़ामोशी से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।

देश ने हमें नाम दिया, पहचान दी — और जब देश संकट में हो, तब हम उस पहचान के लिए नहीं बोलेंगे तो फिर किसलिए?

कभी तो अपनी रीढ़ सीधी करनी होगी…
झुकना प्रेम में अच्छा लगता है, पर देशहित में नहीं।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending News

  • 2024 में खुलेंगे राम मंदिर के दरवाजे, 1000 साल तक कायम रहेगी भव्यता

    2024 में खुलेंगे राम मंदिर के दरवाजे, 1000 साल तक कायम रहेगी भव्यता

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • रामनवमी से पहले ही राम लला का सूर्याभिषेक देख भक्त हुए निहाल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • स्वामी चिदम्बरानन्द महाराज के अवतरण महोत्सव व सिवा ट्रस्ट वार्षिकोत्सव का आयोजन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • 24 अगस्त से फिर शुरू हो रही है रामायण सर्किट रेल यात्रा

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • भारत से विभाजन के समय पाकिस्तान में थे 20 फीसदी हिंदू, धर्मांतरण और उत्पीड़न के बाद अब कितने बचे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • बैलेंसिंग लाइफ ही जिंदगी को खुशहाल बना सकती है: रचना हिरण

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मुख्य समाचार
  • देश
  • विदेश
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • जीवंत
  • ENGLISH
Call us: +91 98330 26960
No Result
View All Result
  • मुख्य समाचार
  • देश
    • राज्य-शहर
  • विदेश
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • जीवंत
  • ENGLISH

Copyright © 2020 ON THE DOT

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In