डेस्क:यूपी में एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आमने-सामने होंगे। चुनाव आयोग ने मंगलवार को अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया। 5 फरवरी को वोटिंग होगी और 8 फरवरी को गिनती के साथ रिजल्ट घोषित किया जाएगा। नामांकन इसी महीने दस जनवरी से 17 जनवरी तक किए जा सकेंगे। बसपा ने पहले ही उपचुनाव से दूरी बना ली है। ऐसे में मुकाबला सपा और भाजपा के बीच ही होगा। मिल्कीपुर सीट लगातार सपा ही जीतती रही है। पिछली बार समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने यह सीट जीती थी।
राममंदिर उद्घाटन के तत्काल बाद हुए लोकसभा चुनाव में सपा ने अवधेश प्रसाद को ही अयोध्या से उतार दिया। अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की और मिल्कीपुर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। अवधेश प्रसाद के अयोध्या की लोकसभा सीट जीतने और भाजपा के हारने से पूरे देश में यह सीट चर्चा का विषय बन गई। सपा ने भी इसे खूब भुनाया भी। अवधेश प्रसाद को अखिलेश ने लोकसभा में अपने साथ सबसे आगे बैठाया। यही नहीं मिल्कीपुर सीट से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी भी घोषित कर दिया था।
मामला हाईकोर्ट में होने से टल गया उपचुनाव
लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में मिल्कीपुर समेत कुल 10 सीटें रिक्त हुई थीं। महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के ऐलान के साथ ही यूपी की दस में से नौ सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हुआ लेकिन मिल्कीपुर का चुनाव टाल दिया गया। चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर सीट का मामला हाईकोर्ट में होने के कारण उपचुनाव का ऐलान नहीं किया। ऐसे में सपा ने भाजपा पर हार के डर से चुनाव टालने का आरोप लगाया। इसके बाद से लगातार भाजपा और सपा के बीच मिल्कीपुर सीट को लेकर शब्दबाण चल रहे हैं। सपा ने इस सीट से प्रत्याशी का भी ऐलान तभी कर दिया था। सपा की तरफ से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारने का ऐलान किया गया है। अब उपचुनाव का ऐलान होने से माना जा रहा है कि भाजपा भी जल्द प्रत्याशी का ऐलान कर देगी।
भाजपा ने भी इस सीट को प्रतिष्ठा का सवाल बनाया हुआ है। सीएम योगी ने खुद इस सीट को अपने हाथों में लिया है और लगातार यहां का दौरा कर रहे हैं। बुधवार को भी सीएम योगी का अयोध्या दौरा पहले से प्रस्तावित है। राममंदिर के एक साल पूरा होने पर 11 जनवरी को भी सीएम योगी अयोध्या आ रहे हैं।
ऐसे साफ हुआ मिल्कीपुर में उपचुनाव का रास्ता
दरअसल 2022 के उपचुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद के जीतने के बाद भाजपा के गोरखनाथ ने एक याचिका लखनऊ हाईकोर्ट में दायिर की थी। गोरखनाथ का आरोप था कि अवधेश प्रसाद ने नामांकन पत्र के साथ जो हलफनामा लगाया है उसके नोटरी का लाइसेंस पहले ही एक्सपायर हो चुका है। ऐसे में नामांकन अवैध है। उन्होंने अवधेश प्रसाद को अयोग्य ठहराने की मांग हाईकोर्ट से की थी। इसी बीच अवधेश प्रसाद जब लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बने तो मिल्कीपुर सीट से इस्तीफा दे दिया।
सीट रिक्त तो हो गई लेकिन हाईकोर्ट में याचिका लंबित होने से चुनाव आयोग ने इस सीट पर उपचुनाव का ऐलान नहीं किया। सपा ने इसे भी मुद्दा बनाया और भाजपा पर हमला किया। हार की आशंका में चुनाव टालने का आरोप लगाया। इसी बीच चुनाव का रास्ता साफ करने के लिए गोरखनाथ दोबारा होईकोर्ट पहुंचे और अपनी याचिका वापस लेने की अपील दायर की। हाईकोर्ट से याचिका वापस लेने की अनुमति मिलते ही यहां पर चुनाव का रास्ता साफ हो गया।