नई दिल्ली:रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी किए गए नए आंकड़ों से पता चला है कि 2020 में देश में 81.16 लाख मौतें दर्ज की गईं, जो पिछले वर्ष की संख्या से लगभग छह प्रतिशत अधिक है। नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के आंकड़ों से पता चला है कि जहां 2020 में पंजीकृत जन्मों की संख्या 2019 में 2.48 करोड़ से घटकर 2.42 करोड़ हो गई थी, वहीं मृत्यु पंजीकरण 2019 में 76.41 लाख से बढ़कर अब 81.16 लाख हो गया है।
ये 2020 में भारत में जन्म और मृत्यु की वास्तविक संख्या नहीं है। बल्कि ये जन्म और मृत्यु के केवल वे नंबर हैं जो पंजीकृत हुए हैं। हाल के वर्षों में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण में लगातार वृद्धि हुई है। विशेष रूप से मौतों के पंजीकरण में पिछले तीन वर्षों में तेज उछाल देखा गया है। उदाहरण के लिए, 2019 में सभी मौतों में से 92 प्रतिशत रजिस्टर की गई थीं, जो कि दो साल पहले (2017) 79 प्रतिशत रजिस्ट्रेशन से उल्लेखनीय वृद्धि थी। सरकार ने मंगलवार को जन्म और मृत्यु रिपोर्ट के आधार पर नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) रिपोर्ट 2020 प्रकाशित की।
आंकड़ों पर क्या बोली भारत सरकार
इन आंकड़ों को लेकर नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने मंगलवार को कहा कि 2019 की तुलना में 2020 में मृत्यु पंजीकरण में वृद्धि केवल कोविड के कारण हुई मौत से नहीं हुई है और कुछ एजेंसियों द्वारा भारत के संबंध में कोविड से हुई मौतों की ‘अत्यधिक’ संख्या प्रकाशित किए जाने को रोका जाना चाहिए।
कोविड-19 टास्क फोर्स के प्रमुख पॉल ने उदाहरण स्वरूप लान्सेट के एक हालिया प्रकाशन का उल्लेख किया, जिसमें दावा किया गया था कि जनवरी 2020 से दिसंबर 2021 के बीच भारत में कोविड से हुई अनुमानित मृत्यु दर्ज रिपोर्ट की तुलना में आठ गुना अधिक थी।
भारत में कोविड के कारण दर्ज मौतें पर उठे थे सवाल
उस अवधि में भारत में कोविड के कारण दर्ज मौतें लगभग 4,89,000 थीं। लान्सेट ने अपने अखबार में ‘कोविड-19 महामारी के कारण अतिरिक्त मृत्यु दर का अनुमान: कोविड-19 संबंधित मृत्यु दर का एक व्यवस्थित विश्लेषण, 2020-21’ शीर्षक वाले अपने लेख में दावा किया था कि इस अवधि में भारत में कोविड से हुई मौतें दुनिया में सबसे ज्यादा 40.7 लाख थीं।
पॉल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘अब जबकि सभी कारणों से अधिक मौतों की वास्तविक संख्या उपलब्ध है, शुद्ध अनुमानों और मॉडलों पर आधारित अनुमान लगाने का कोई औचित्य नहीं है।’ उन्होंने बताया कि 2018 की तुलना में 2019 में 6.9 लाख अधिक लोगों की मृत्यु हुई।
सीआरएस अध्ययन के निष्कर्ष इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत ने हाल ही में देश में कोविड से हुई मृत्यु का अनुमान लगाने वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था। भारत ने कहा था कि इस तरह के गणितीय मॉडलिंग का उपयोग भौगोलिक आकार और जनसंख्या के दृष्टिकोण से इतने विशाल राष्ट्र के लिए मृत्यु के आंकड़ों का अनुमान लगाने के लिए नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कोविड के लिए स्थापित एक मजबूत निगरानी प्रणाली के आधार पर आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2020 में कोविड के कारण होने वाली मृत्यु 1.49 लाख थी। पॉल ने कहा, ‘राज्यों द्वारा मौत की संख्या को भी ठीक से गिना जा रहा है। यह एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली है।’
उनके अनुसार, अधिक मृत्यु पंजीकरण इसलिए भी हो रहा है क्योंकि लोग जागरूक हैं, लोगों को संपत्तियों और अन्य उद्देश्यों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता है। पॉल ने कहा, ‘आमतौर पर संचालन में आसानी और डिजिटलीकरण के कारण, लोग आगे आ रहे हैं। जनसंख्या का आकार भी हर साल अधिक मौतों में योगदान देता है।’
उन्होंने बताया कि मृत्यु दर में गिरावट और कोई प्रकोप नहीं होने के बावजूद पिछले वर्षों में अधिक मृत्यु पंजीकरण वृद्धि देखी गई है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए, हमें यह याद रखना चाहिए कि अतिरिक्त मौतें कोविड-19 के कारण नहीं हैं, बल्कि इसके अन्य कारण भी हैं।’