कराची:पाकिस्तान के सिंध प्रांत की राजधानी कराची में अपराध का खौफ बढ़ता जा रहा है। पुलिस के अनुसार, 2024 के पहले आठ महीनों में शहर में करीब 45,000 सड़क अपराध और लूटपाट की घटनाएं दर्ज की गई हैं। पिछले साल सड़क अपराधों और लूटपाट में 118 लोग मारे गए थे, जबकि इस साल यह आंकड़ा लगभग 100 के करीब पहुंच गया है।
सड़कों पर असुरक्षा का माहौल
करीब 2 करोड़ की आबादी वाले इस महानगर में लोग अब खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे। फैक्ट्री वर्कर बशीर बाबू, जो दो बार लूट का शिकार हो चुके हैं, कहते हैं, “दिन हो या रात, अपराधी बेधड़क वारदात कर रहे हैं। बाहर निकलने में डर लगता है क्योंकि लूटपाट का खतरा हमेशा बना रहता है।”
सोशल मीडिया पर हर दिन नए वीडियो सामने आ रहे हैं, जिनमें सरेआम अपराधी लोगों से उनका सामान छीनते हुए दिखते हैं। ये घटनाएं सड़कों, ट्रैफिक लाइट्स, एटीएम, रेस्तरां, यहां तक कि मस्जिदों में भी हो रही हैं।
“ऑटो-रिक्शा गैंग” का आतंक
हाल ही में कराची में “ऑटो-रिक्शा गैंग” का खतरा सामने आया है। पुलिस अधिकारी आबिद फजल ने बताया कि कुछ ऑटो-रिक्शा चालकों ने अपराधी गिरोहों के साथ मिलकर यात्रियों को लूटने की योजना बनाई है।
इन घटनाओं में चालक पहले यात्रियों का मुआयना करते हैं और फिर फोन पर उनकी लोकेशन और सामान की जानकारी अपने साथियों को दे देते हैं। बैंक में काम करने वाली सुमैया फिरदौस, जो हाल ही में लूट का शिकार हुईं, बताती हैं, “मुझे लगा चालक अपने परिवार से बात कर रहा है, लेकिन वह वास्तव में लुटेरों को जानकारी दे रहा था।”
लोगों में गुस्सा, कानून व्यवस्था पर सवाल
पुलिस और सरकार की उदासीनता और बढ़ते भ्रष्टाचार के चलते जनता का गुस्सा अब हिंसा में बदल रहा है। हाल ही में कराची के फेडरल बी इलाके में एक लुटेरे को लोगों ने पीट-पीट कर मार डाला। इस महीने अब तक चार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां गुस्साई भीड़ ने लुटेरों को जान से मार डाला।
विशेषज्ञों की चिंता
कराची स्थित सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी की विशेषज्ञ डॉ. हुमैरा यूसुफ ने कहा, “लोग कानून-व्यवस्था पर भरोसा नहीं कर रहे, जिससे भीड़ का न्याय (मॉब जस्टिस) बढ़ रहा है।”
पुलिस विभाग में सुधार की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इस साल कई पुलिसकर्मियों को अपराधियों के साथ मिलीभगत के आरोप में बर्खास्त किया गया है। लेकिन यह समस्या के समाधान के लिए पर्याप्त नहीं है।
कराची में बढ़ते अपराधों ने नागरिकों को भय और असुरक्षा के माहौल में जीने पर मजबूर कर दिया है। पुलिस और प्रशासन के लिए अब यह चुनौती बन गई है कि वे लोगों का भरोसा कैसे बहाल करें।