नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि लगभग 47.3 करोड़ बच्चे, यानी हर छह में से एक बच्चा, दुनियाभर में संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में रह रहा है।
शनिवार को जारी रिपोर्ट में यूनिसेफ ने फिलिस्तीन, म्यांमार, हैती और सूडान जैसे संघर्ष क्षेत्रों की स्थिति पर प्रकाश डाला और बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक के सबसे अधिक संघर्ष दुनिया भर में हो रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 19 प्रतिशत बच्चे संघर्ष क्षेत्रों में रह रहे हैं, जबकि 4.72 करोड़ बच्चे हिंसा और संघर्ष के कारण विस्थापित हो चुके हैं।
यूनिसेफ ने पुष्टि की कि 2024 के पहले नौ महीनों में बच्चों की मौतें और चोटें 2023 के मुकाबले अधिक रही हैं। गाजा और यूक्रेन में जारी संघर्षों में हजारों बच्चों की जानें गई हैं।
विशेष रूप से, इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष के कारण पिछले 15 महीनों में गाजा में कम से कम 17,492 बच्चों की मौत हुई है।
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने 2024 को संघर्ष में बच्चों के लिए सबसे बुरा वर्ष बताया। उन्होंने कहा कि संघर्ष क्षेत्रों में बच्चों को स्कूल बंद होने, कुपोषण और विस्थापन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह “नया सामान्य” नहीं बनना चाहिए और पूरी पीढ़ी को इन संघर्षों का शिकार बनने से बचाना होगा।
कैथरीन रसेल ने कहा, “संघर्ष क्षेत्रों में पलने वाले बच्चे शांतिपूर्ण क्षेत्रों के बच्चों की तुलना में स्कूल से बाहर रहने, कुपोषण और विस्थापन का अधिक जोखिम झेलते हैं। हमें यह स्थिति स्वीकार नहीं करनी चाहिए। बच्चों को दुनिया के अनियंत्रित युद्धों का शिकार नहीं बनने देना चाहिए।”
मुख्य बिंदु:
- 19% बच्चे संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे हैं।
- 4.72 करोड़ बच्चे हिंसा और संघर्ष के कारण विस्थापित हुए।
- गाजा में 15 महीनों में 17,492 बच्चों की मौत।
- 2024 संघर्ष में बच्चों के लिए सबसे बुरा वर्ष रहा।
- यूनिसेफ ने बच्चों की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की अपील की।