इंदौर: हाल ही में इंदौर की एक कोर्ट में एक मामला सामने आया जिसने फिल्म “दामिनी” के कोर्ट रूम सीन की याद दिला दी। इस घटना के बाद पीड़िता ने राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठी लिखकर या तो न्याय देने या फिर इच्छामृत्यु की अनुमति देने की गुहार लगाई है।
मामला ‘लव जिहाद’ से जुड़ा है, जिसमें एक मुस्लिम युवक ने अपनी पहचान छिपाकर पीड़िता से दोस्ती की, फिर उसका शारीरिक शोषण किया और धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया। लेकिन कोर्ट में जब पीड़िता से क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान सवाल किए गए तो वह शर्मसार हो गई।
पीड़िता की कहानी
पीड़िता का कहना है कि वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं और सबसे छोटी बेटी हैं। 2015 में उनकी शादी हुई थी, लेकिन उनके पति किसी और को चाहते थे, जिससे 2017 में उनका तलाक हो गया। 2019 में अशरफ मंसूरी नाम के व्यक्ति ने “हेलो ऐप” के जरिए उनसे संपर्क किया। पहले उसने अपनी पहचान छिपाई और बाद में आशु नाम से उनसे दोस्ती की। अशरफ ने शादी का झांसा देकर पीड़िता का शारीरिक शोषण किया। जब पीड़िता को उसकी असली पहचान का पता चला तो उसने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
कोर्ट में अपमानजनक सवाल
पीड़िता ने बताया कि 25 जुलाई को जब उनके क्रॉस एग्जामिनेशन चल रहे थे, तो उनसे इस तरह के सवाल पूछे गए जिन्हें बताने में भी शर्म आती है। उनके बयान खुले दरवाजे के सामने लिए गए और कोर्ट में मौजूद लोग ठहाके लगा रहे थे। कोर्ट रूम में उनके चरित्र का अपमान किया गया और जज ने उनसे कहा कि अगर वे जींस और टी-शर्ट पहनकर निकलेंगे तो इस तरह की लड़कियां उनके साथ भी निकल आएंगी। जज ने पीड़िता से पूछा कि क्या उन्होंने रुपये प्राप्त कर लिए। इन सवालों और कोर्ट रूम में हुई हंसी-ठिठोली से पीड़िता को लगा कि उन्हें न्याय नहीं मिलेगा।
राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी
पीड़िता ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी में कहा कि जज साहब के शब्दों और कोर्ट में हुई घटनाओं ने उनके मन में न्याय प्रणाली की छवि धूमिल कर दी है। उन्होंने न्याय की गुहार लगाई और यदि न्याय नहीं मिला तो इच्छामृत्यु की अनुमति देने की मांग की।
इस घटना ने समाज और न्याय प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि न्याय की आशा अब भी जीवित है या नहीं।