इस्लामाबाद:पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में अगले साल होने वाले जी-20 (G-20) बैठकों का विरोध किया है। पाकिस्तान ने कहा है कि वो जी-20 बैठको को लेकर भारत की योजनाओं को पूरी तरह से नकारता है। इसके साथ-साथ पड़ोसी देश ने जम्मू-कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित क्षेत्र बताया है। पाकिस्तान ने कहा कि यह विवाद सात दशकों से अधिक समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे पर है।
जम्मू कश्मीर दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाने वाले प्रभावशाली समूह जी-20 की 2023 की बैठक की मेजबानी करेगा। केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने समन्वय के लिए गुरुवार को पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता आसिम इफ्तिखार अहमद ने एक बयान में कहा कि इस्लामाबाद ने भारतीय मीडिया में आई उन खबरों का संज्ञान लिया है, जिनसे संकेत मिलता है कि भारत जी-20 से संबंधित कुछ बैठक जम्मू कश्मीर में कराने पर विचार कर सकता है। अहमद ने कहा, ‘भारत की ऐसी किसी भी कोशिश को पाकिस्तान पूरी तरह नकारता है।’
जम्मू-कश्मीर को बताया अंतरराष्ट्रीय स्तर का विवादित क्षेत्र
उन्होंने कहा कि यह सब जानते हैं कि जम्मू कश्मीर, पाकिस्तान और भारत के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माना गया ‘विवादित’ क्षेत्र है और सात दशकों से अधिक समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे पर है। अहमद ने कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारत से पांच अगस्त, 2019 को लिए गए अपने फैसले को वापस लेने और सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आह्वान करने का अनुरोध भी करता है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने समिति को दी मंजूरी
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के आदेश में कहा गया है कि आवास एवं शहरी विकास के प्रधान सचिव समिति का नेतृत्व करेंगे, जिसका गठन विदेश मंत्रालय के 4 जून के पत्र के बाद किया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव मनोज कुमार द्विवेदी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, ‘केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में होने वाली जी-20 बैठकों के समग्र समन्वय के लिए एक समिति के गठन को मंजूरी दी जाती है।’
अनुच्छेद 370 हटने के बाद से और बढ़ा तनाव
बता दें कि कि पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के लिए भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त करने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत सरकार के इस कदम का पाकिस्तान ने पूरी दुनिया में पूरजोर तरीके से विरोध भी किया था और अभी भी करते आ रहा है। हालांकि, भारत सरकार उसके विरोध हमेशा से खारिज करती आई है।