मुंबई:अनियमित मॉनसून के बावजूद भारत की आर्थिक गति बरकरार है और आर्थिक समीक्षा में 6.5 से 7.0 प्रतिशत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का अनुमान सही जान पड़ता है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में यह बात कही गई। जुलाई की मासिक आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों में अपनी गति बनाए रखी है।
क्या है रिपोर्ट में
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार (अप्रैल-जुलाई) महीनों में जीएसटी कलेक्शन में जबरदस्त वृद्धि हुई है। यह टैक्स बेस के विस्तार और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के दम पर मुमकिन हुआ। रिपोर्ट में कहा गया- मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के क्रय प्रबंधकों के सूचकांक के मजबूत प्रदर्शन से भी घरेलू गतिविधियों में मजबूती का पता चलता है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि का कारण मांग का बढ़ना, नए निर्यात ऑर्डर में तेजी तथा उत्पादन कीमतों का बढ़ना है।
राजकोषीय मोर्चे पर ये है हाल
राजकोषीय मोर्चे पर इसमें कहा गया कि बजट वित्त वर्ष 2024-25 ने राजकोषीय मजबूती का मार्ग प्रशस्त किया है। मजबूत राजस्व कलेक्शन, राजस्व व्यय में अनुशासन और मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के समर्थन से राजकोषीय घाटे में कमी आने का अनुमान है। इसके साथ ही पूंजीगत व्यय को उच्च स्तर पर बनाए रखा गया है, जिससे नए निजी निवेश साइकिल को समर्थन मिल रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया कि खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई 2024 में घटकर 3.5 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर 2019 के बाद सबसे कम है। यह खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी का नतीजा है। दक्षिण-पश्चिम मानसून में स्थिर प्रगति ने खरीफ की बुवाई का समर्थन किया है। इसमें कहा गया है कि जलाशयों में जल स्तर का फिर से बढ़ना मौजूदा खरीफ और आगामी रबी फसल के उत्पादन के लिए अच्छा संकेत है। इससे आने वाले महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलेगी।
भारत की आर्थिक गति बरकरार
रिपोर्ट में कहा गया- कुल मिलाकर भारत की आर्थिक गति बरकरार है। कुछ हद तक अनियमित मॉनसून के बावजूद जलाशयों में जलस्तर की भरपाई हो गई है। क्रय प्रबंधकों के सूचकांक के अनुसार विनिर्माण और सेवा क्षेत्र बढ़ रहा है। इसमें कहा गया कि कर संग्रह, खासकर अप्रत्यक्ष कर (जो लेन-देन को दर्शाते हैं) अच्छी तरह बढ़ रहे हैं, तथा बैंक ऋण भी बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार- मुद्रास्फीति कम हो रही है और वस्तुओं तथा सेवाओं दोनों का निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर रहा है। शेयर बाजार अपने स्तर पर बने हुए हैं। सकल प्रवाह बढ़ने के कारण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ रहा है। इसमें कहा गया, फिलहाल 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 6.5-7.0 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान उचित जान पड़ता है।