डेस्क: 410 अरब डॉलर के टाटा ग्रुप की होल्डिंग इकाई टाटा संस ने रणनीतिक कदम के तहत 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज चुकाने के बाद हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को अपना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट स्वेच्छा से सौंपने की मांग की, जिससे वह एक नॉन-लिस्टेड कंपनी बनी रह सके। कंपनी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि उसने अपने नए और मौजूदा बिजनेस में पूंजी की आवश्यकता, ग्रोथ और बैलेंस शीट को कम करने के आधार पर निवेश किया है। टाटा संस के लिस्टेड निवेशों की मार्केट वैल्यू वित्त वर्ष 24 में 35.7% बढ़कर 15.21 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वर्ष यह 11.21 लाख करोड़ रुपये था।
TOI की ख मुताबिक अगर ये कर्ज रहता तो टाटा संस को केंद्रीय बैंक के नियमों के अनुपालन में अपने शेयरों को लिस्ट करना आवश्यक होता। टाटा संस को आरबीआई ने सितंबर 2022 में एनबीएफसी-अपर लेयर के रूप में कैटेगराइज किया था। आरबीआई के नियमों के तहत एक NBFC-UAL को इस तरह के कैटेगरी के तीन साल के भीतर लिस्टेड होना चाहिए, लेकिन कर्ज चुकाने के बाद प्रमोटर जोखिम प्रोफाइल में भारी कमी आने के साथ, टाटा संस को अब अपने स्टॉक को लिस्ट करने की आवश्यकता नहीं है। टाटा संस ने केंद्रीय बैंक को अपना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट सौंपने की पेशकश की है।
टीसीएस में कम हुई हिस्सेदारी: इस साल मार्च टाटा संस ने भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सर्विस निर्यातक टीसीएस में 23.4 मिलियन शेयर बेचे। इससे लगभग 9,300 करोड़ रुपये जुटाए। इसके बाद टीसीएस में टाटा संस की शेयर होल्डिंग दिसंबर 2023 में 72.38% से घटकर मार्च 2024 में 71.74% रह गई।
टीसीएस से सबसे ज्यादा डिविडेंड मिला: ईटी के आंकड़ों के अनुसार टाटा संस को अपनी 13 लिस्टेड कंपनियों से लगभग 24,000 करोड़ रुपये का डिविडेंड प्राप्त हुआ। फ्लैगशिप टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने वित्त वर्ष 24 में टाटा संस को लगभग 19,000 करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया। टीसीएस के बाद टाटा मोटर्स और टाटा स्टील का स्थान रहा। टीसीएस ने 2,000 करोड़ रुपये और टाटा मोटर्स 1,450 करोड़ रुपये का भुगतान किया। कंपनी ने इन शेष दायित्वों को पूरा करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पास बैंक जमा में 405 करोड़ रुपये अलग रखे हैं।